प्रिय पाठकों! आज हम इस लेख में बिहार सामान्य ज्ञान से संबंधित टॉपिक बिहार की प्रमुख भाषा क्या है तथा बिहार की प्रमुख भाषा व बोलियां पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं इस लेख में बिहार की भाषा से संबंधित सारे प्रश्नों का जवाब मिल जाएगा.
जाने बिहार की प्रमुख भाषा क्या है?
बिहार पूर्णता हिंदी भाषी राज्य हैं. हिंदी, मैथिली एवं उर्दू बिहार की आधिकारिक भाषाएं हैं, जहां हिंदी भाषा अभिव्यक्ति का एक मुख्य माध्यम है. किंतु हिंदी भाषा के आलावा मैथिली, मगही, भोजपुरी, अंगिका, वज्जिका, संथाली, मुंडारी आदि बोलियां भी बोली जाती है. डॉक्टर जॉर्ज अब्राहम गियर्सन ने बिहार की बोलियों को ‘बिहारी’ नाम दिया है.
बिहार राज्य में बोली जाने वाली हिंदी भाषा में क्षेत्रीय विविधता में पाई जाती है. उत्तरी पूर्वी बिहार में मैथिली भाषा, दक्षिण पश्चिमी बिहार में भोजपुरी भाषा तथा दक्षिणी बिहार में मगही भाषा प्रमुखता से बोली जाती है.
बिहार में बोली जाने वाली सभी भाषाओं में हिंदी एवं उर्दू का शब्द मिश्रित है. हिंदी फांसी राज्य होने के कारण बिहार में हिंदी भाषा एवं साहित्य को विशेष प्रोत्साहन दिया गया है.
बिहार की प्रमुख भाषा व बोलियां:- बिहार में हिंदी भाषा के अलावा विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न बोलियां प्रचलित हैं जिसमें मैथिली, मगही, भोजपुरी, अंगिका,वज्जिका एवं उर्दू प्रमुख हैं. जो निम्नलिखित है-
- मैथिली
- मगही
- भोजपुरी
- वज्जिका
- अंगिका
- उर्दू
मैथिली (Maithili)
मैथिली भाषा आर्य परिवार की भाषा है. पहले मैथिली भाषा को मिथिला अक्षर या कैथी लिपि में लिखा जाता था, जो बांग्ला या असमिया लिपियों के कुछ समानता रखती थी. परंतु वर्तमान में यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है.
मैथिली भाषा मुख्य रूप से बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की भाषा है. मैथिली भाषा का आरंभ ज्योतिश्वर ठाकुर की रचना वर्ण रत्नाकर से माना जाता है. महाकवि विद्यापति भी मैथिली साहित्य के प्रमुख रचनाकार रहे हैं, जिनकी प्रमुख रचनाएं कृति लता, कृति पताका, पुरुष परीक्षा, गोरक्षा विजय, पदावली आदि है.
मैथिली का प्रथम प्रमाण रामायण से प्राप्त होता है, जिनमें मिथिला नरेश राजा जनक की राजभाषा मैथिली थी.
मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 दिसंबर 2003 को 92वां संविधान संशोधन के द्वारा शामिल किया गया.
मगही (Magahi)
मगही भाषा का विकास मगदी से हुआ है. जो प्राचीन काल में मगध साम्राज्य की एक प्रमुख धार्मिक भाषा थी. क्योंकि महावीर और गौतम बुध दोनों उपदेश को ने मांगी को अपनी उपदेश की भाषा बनाया था.
माझी भाषा के प्रथम कवि ईशान हैं. महाकवि योगेश आधुनिक मगही के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते हैं. आधुनिक युग में मगही भाषा के विकास में लक्ष्मी नारायण पाठक का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
बिहार में मगही भाषा पटना गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, नवादा, नालंदा, लखीसराय, अरवल, जमुई से पूरा आदि जिलों में बोली जाती हैं.
भोजपुरी (Bhojpuri)
बिहार में भोजपुरी भाषा मुख्य रूप से भोजपुर जिला में बोली जाती है, इसीलिए इस भाषा का नाम भोजपुरी पड़ गया भोजपुरी भाषा भी आर्य परिवार की भाषा है.
धरती दास एवं दरिया दास ने 17 वी शताब्दी के समय भोजपुरी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. आधुनिक युग में बाबू रघुवीर नाथ भिखारी ठाकुर एवं महेंद्र मिश्रा ने इस भाषा को नई दिशा प्रदान की.
भोजपुरी भाषा भारत के अलावा मॉरिशस, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, जुयाना, फिजी तथा सूरीनाम आदि देशों में भी बोली जाती है.
भोजपुरी भाषा बिहार में बक्सर, आरा, सारण, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, रोहतास जिला में बोली जाती है तथा पड़ोसी राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी बोली जाती है.
वज्जिका
बुआ जी का भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध की जन्म भूमि एवं कर्मभूमि तथा विश्व के प्रथम गणतंत्र वज्जी संघ की भाषा है. मैथिली मगही और अंगिका के साथ-साथ व जी का को हिंदी की जनपदीय भाषा के रूप में स्वीकार गया.
वज्जीका भाषा बिहार के मुजफ्फरपुर वैशाली, समस्तीपुर सीतामढ़ी, चंपारण, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी सहित नेपाल के कुछ क्षेत्रों में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है.
अंगिका
अंगिका भाषा भारतीय आर्य भाषा है तथा अंगिका मैथिली की ही एक बोली है जिसे भागलपुरी के नाम से भी जाना जाता है जोकि ‘अंगिका’ शब्द से बना है. अंग प्रदेश यानी भागलपुर में बोली जाने वाली भाषा को अंगिका नाम दिया गया है.
डॉक्टर तेज नारायण कुशवाहा ने आगे का बोली का इतिहास लिखकर इस भाषा को लोकप्रिय बनाने में बहुमूल्य योगदान दिया है.
अंगिका भाषा बिहार में भागलपुर, मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय, पुर्निया, अररिया एवं कटिहार जिला में बोली जाती है.
उर्दू (Urdu)
बिहार की प्रमुख भाषाओं में हिंदी के बाद उर्दू सबसे महत्वपूर्ण हैं. उर्दू बिहार में मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के बीच बोली जाती है. यह राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा भी है. उर्दू साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है. यह भाषा राज्य के कई हिस्सों में लोगों की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है.