भारत का प्रमुख दर्रा, उनकी अवस्थिति, महत्व और अन्य तथ्य

यह लेख हिमालय के भौगोलिक क्षेत्रों का विस्तार मात्र है. लेकिन इस लेख में हिमालय क्षेत्र के प्रमुख दर्रा (Major Passes of the Himalayan Region in Hindi) का वर्णन है. साथ ही लेख में भारत के अन्य प्रसिद्ध दर्रों (Other famous passes of India) का भी उल्लेख है. भारत के प्रमुख पर्वतीय दर्रे (Passes) देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों को आपस में जोड़ते हैं और व्यापार, संस्कृति तथा आवागमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. तो आइए हम हिमालय व अन्य मुख्य दर्रे और इनसे जुड़े भौगोलिक तथ्यों और महत्वपूर्ण परीक्षोपयोगी सामान्य ज्ञान को जानते है:

बनिहाल दर्रा (Banihal Pass)

यह जम्मू-कश्मीर में लघु हिमालय के पीर पंजाल पर्वत शृंखला में स्थित है तथा श्रीनगर को जम्मू से जोड़ता है. श्रीनगर से जम्मू का राजमार्ग ‘NH-44’ (पूर्व, NH-1A) इसी दर्रे से गुज़रता है. शीत ऋतु में यहाँ बर्फ का जमाव हो जाने के कारण आवागमन बाधित हो जाता है. अतः पूरे वर्ष आवागमन के लिये सन् 1956 में यहाँ देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम पर ‘जवाहर सुरंग’ का निर्माण किया गया.

लानक ला (Lanak La)

यह ट्रांस हिमालय में स्थित है तथा लद्दाख एवं तिब्बत (भारत-चीन) के बीच संपर्क स्थापित करता है. वर्तमान अवस्थिति के अनुसार ‘लानक ला’ दर्रा लद्दाख के चीन अधिकृत क्षेत्र ‘अक्साई चिन’ का हिस्सा है. अपने सामरिक महत्त्व की दृष्टि से चीन ने इसी दर्रें से होंकर सिकियांग (शिंजियांग) एवं तिब्बत को जोड़ने के लिये सड़क मार्ग का निर्माण किया है.

नाथू ला (Nathu La)

यह सिक्किम के वृहद् हिमालय क्षेत्र में स्थित है. यह गंगटोक एवं ल्हासा (भारत-चीन) के बीच संपर्क मार्ग स्थापित करता है. सन 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था परंतु सन् 2006 में इसे पुनः खोल दिया गया. यह दर्रा भारत एवं चीन के बीच होने वाले प्राचीन व्यापारिक सिल्क मार्ग की एक उपशाखा का भाग था.

ज़ोजिला (Zoji La)

यह जास्कर श्रेणी (लद्दाख) में स्थित है तथा श्रीनगर, कारगिल एवं लेह (श्रीनगर-लेह) के बीच संपर्क स्थापित करता है. श्रीनगर-ज़ोजिला मार्ग के सामरिक महत्त्व को देखते हुए इसे राष्ट्रीय राजमार्ग ‘NH-1’ (पूर्व, NH-1D) घोषित किया गया है. इसकें निर्माण एवं रख-रखाव का कार्य ‘सीमा सड़क संगठन’ (Border Roads Organisation-BRO) को सौंपा गया है.

लिपुलेख दर्रा (Lipulekh Pass)

लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड के कुमाऊँ श्रेणी में अवस्थित है जो उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत से जोड़ता है. मानसरोवर तथा कैलाश पर्वत जाने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों द्वारा इसी दर्रे का उपयोग किया जाता है. लिपुलेख दर्रा भारत एवं चीन के बीच होने वाले व्यापार के लिये स्थलीय मार्ग भी प्रदान करता है. यह भारत, चीन व नेपाल के मध्य सीमा बनाता है.

बोमडी ला (Bomdila Pass)

यह अरुणाचल प्रदेश (उत्तर-पूर्वी हिमालय) में अवस्थित है. यह अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत की राजधानी ल्हासा से जोड़ता है.  बर्फबारी तथा प्रतिकूल मौसम के कारण यह शीत ऋतु में बंद रहता है.

दिफू दर्रा (Diphu Pass)

दिफू दर्रा अरुणाचल प्रदेश में (उत्तर-पूर्वी हिमालय) भारत, चीन तथा म्याँमार की सीमाओं के पास स्थित है. अरुणाचल प्रदेश में स्थित यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश एवं मांडले (म्याँमार) के बीच एक छोटा रास्ता उपलब्ध कराता है. भारत एवं म्याँमार के बीच यह एक परम्परागत मार्ग है जो व्यापार एवं परिवहन के लिये पूरे वर्ष खुला रहता है.

काराकोरम दर्रा (Karakoram Pass)

काराकोरम दर्रा, हिमालय के काराकोरम श्रेणियों के मध्य लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र में स्थित है जो भारत एवं चीन के बीच एक संपर्क मार्ग प्रदान करता है. भारत एवं चीन के बीच तनाव की स्थिति होने के कारण काराकोरम दर्रें को वर्तमान समय में आने-जाने के लिये बंद कर दिया गया है. चीन द्वारा वर्तमान में इस दर्रे का अतिक्रमण कर लिया गया है. हिमालय पर्वत शृंखलाओं में स्थित सभी दरो में काराकोरम दर्रा सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित है जो लगभग 5,540 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है.

रोहतांग दर्रा (Rohtang Pass)

रोहतांग दर्रा हिमाचल प्रदेश (लघु हिमालय) में स्थित एक प्रमुख दर्रा है जो मनाली को लेह से एक सड़क-मार्ग द्वारा जोड़ता है. रोहतांग दर्रा केवल मई से नवंबर तक ही खुला रहता है क्योंकि अन्य समय बर्फीले तूफान तथा हिमस्खलन के कारण इस मार्ग पर यात्रा करना बहुत मुश्किल होता है. रोहतांग दर्रा को हिमाचल प्रदेश के ‘लाहुल-स्पीति’ ज़िले का ‘प्रवेश द्वार’ कहा जाता है. यह दर्रा ‘कुल्लू’ और ‘लाहुल-स्पीति’ को आपस में जोड़ता है.

बुर्जि ला (Burzil Pass)

बुर्जि ला वृहद हिमालय में भारत एवं पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर स्थित है. बुर्जि ला, कश्मीर, गिलगित एवं श्रीनगर के बीच का एक प्राचीन मार्ग है. इसी दर्रे से होकर मध्य-एशिया का मार्ग गुजरता है. शीत ऋतु में बर्फ से ढँक जाने के कारण यह व्यापार एवं परिवहन के लिये बंद रहता है. यह दर्रा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर घाटी तथा भारत के कश्मीर घाटी को लद्दाख के ‘देवसाई मैदान’ से जोड़ता है.

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हिमालय के अन्य प्रमुख दर्रे (Other Main Passes of Hiamaya Mountain Range):

  • शिपकिला दर्रा (Shipkila Pass): हिमाचल प्रदेश में, सतलुज नदी इसी दर्रे से भारत में प्रवेश करती है. यह हिमाचल प्रदेश को तिब्बत से जोड़ता है.
  • बारालाचा ला (Baralacha La): हिमाचल प्रदेश में, यह लाहौल घाटी को लेह से जोड़ता है.
  • नीति दर्रा (Niti Pass): उत्तराखंड में, यह उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है.
  • माना दर्रा (Mana Pass): उत्तराखंड में, यह उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है और भारत के सबसे ऊंचे मोटर-सक्षम दर्रों में से एक है.
  • थांग ला (Thang La): लद्दाख में, यह भी दुनिया के सबसे ऊंचे मोटर-सक्षम दर्रों में से एक है.
  • खारदुंग ला (Khardung La): लद्दाख में, लेह से नुब्रा घाटी तक जाने वाला मार्ग. यह भी दुनिया के सबसे ऊंचे मोटर-सक्षम दर्रों में से एक होने का दावा किया जाता था, हालांकि अब इस पर विवाद है.

हिमालय के प्रमुख दर्रों की वस्तुनिष्ठ जानकारी

नामहिमालय प्रदेशअवस्थितिमार्ग
काराकोरम दर्राट्रांस हिमालय प्रदेशलद्दाखभारत-चीन
देपसांग लाट्रांस हिमालय प्रदेशलद्दाखभारत-चीन
लानक लाट्रांस हिमालय प्रदेशलद्दाखभारत-चीन
चांग लाट्रांस हिमालय प्रदेशलद्दाखभारत-चीन
जारा लाट्रांस हिमालय प्रदेशलद्दाखभारत-चीन
खारदुंग लाट्रांस हिमालय प्रदेशलद्दाखभारत-चीन
बुर्जि लावृहद हिमालय प्रदेशजम्मू-कश्मीरश्रीनगर-गिलगित
बारालाचा लावृहद हिमालय प्रदेशहिमाचल प्रदेशलेह-मनाली
शिपकी लावृहद हिमालय प्रदेशहिमाचल प्रदेशशिमला-तिब्बत (भारत-चीन)
नीति दर्रावृहद हिमालय प्रदेशउत्तराखंडभारत-चीन
माना लावृहद हिमालय प्रदेशउत्तराखंडभारत-चीन
मुलिंग लावृहद हिमालय प्रदेशउत्तराखंडभारत-चीन
जेलेप लावृहद हिमालय प्रदेशसिक्किमगंगटोक-ल्हासा
पीर पंजाललघु हिमालय प्रदेशजम्मू-कश्मीरजम्मू को कश्मीर से
बनिहाललघु हिमालय प्रदेशजम्मू-कश्मीरश्रीनगर-जम्मू
रोहतांगलघु हिमालय प्रदेशहिमाचल प्रदेशमनाली-लेह
बोमडी लाउत्तर-पूर्वी हिमालय प्रदेशअरुणाचल प्रदेशअरुणाचल प्रदेश-ल्हासा (भारत-तिब्बत)
दिफूउत्तर-पूर्वी हिमालय प्रदेशअरुणाचल प्रदेशअरुणाचल प्रदेश-म्याँमार
पांगसाउउत्तर-पूर्वी हिमालय प्रदेशअरुणाचल प्रदेशअरुणाचल प्रदेश-म्याँमार
तुजूउत्तर-पूर्वी हिमालय प्रदेशमणिपुरमणिपुर-म्याँमार

पश्चिमी घाट का दर्रा (The mountain passes of Western Ghats)

भारत के प्रायद्वीपीय व पठारी क्षेत्रों क्षेत्रों में भी कई प्राकृतिक दर्रे उपस्थित हैं. इनमें कुछ चर्चित दर्रा का वर्णन आगे किया गया हैं:

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1. थालघाट (Thal Ghat) / कसारा घाट (Kasara Ghat)

यह दर्रा महाराष्ट्र राज्य में पश्चिमी घाट में स्थित है. यह नासिक और मुंबई के बीच कसारा शहर के पास है. यह मुंबई को नासिक से जोड़ता है. यह मुंबई से होकर उत्तर भारत जाने वाले प्रमुख सड़क और रेल मार्गों में से एक है. यह महाराष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है और दक्कन पठार को कोंकण तट से जोड़ता है. यह मुंबई-नासिक राजमार्ग (NH 160) और मध्य रेलवे लाइन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

2. भोरघाट (Bhor Ghat)

यह दर्रा भी महाराष्ट्र राज्य में पश्चिमी घाट (सह्याद्रि पर्वत) में स्थित है. यह कर्जत और खंडाला के बीच है. यह मुंबई को पुणे से जोड़ता है. मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे और पुरानी मुंबई-पुणे राजमार्ग इसी दर्रे से होकर गुजरते हैं. यह मध्य रेलवे की एक महत्वपूर्ण लाइन भी है. यह महाराष्ट्र के दो सबसे बड़े शहरों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो व्यापार, वाणिज्य और यात्रियों के आवागमन के लिए आवश्यक है.

3. शेनकोट्टा दर्रा (Shencottah Gap)

यह दर्रा केरल और तमिलनाडु राज्यों की सीमा पर पश्चिमी घाट में स्थित है. यह केरल में कोल्लम जिले को तमिलनाडु में तिरुनेलवेली जिले से जोड़ता है. यह एक महत्वपूर्ण मार्ग है जो दक्षिणी केरल को दक्षिणी तमिलनाडु से जोड़ता है. इस दर्रे से होकर सड़क और रेल मार्ग गुजरते हैं. यह पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग में एक महत्वपूर्ण प्रवेश बिंदु है.

4. पालघाट दर्रा (Palakkad Gap / Palghat Gap)

यह दर्रा दक्षिणी भारत में पश्चिमी घाट में नीलगिरि पहाड़ियों (उत्तर में) और अन्नामलाई पहाड़ियों (दक्षिण में) के बीच स्थित है. यह केरल और तमिलनाडु की सीमा पर है. यह केरल में पालक्काड़ (Palakkad) को तमिलनाडु में कोयम्बटूर (Coimbatore) से जोड़ता है. यह केरल को तमिलनाडु और कर्नाटक से जोड़ने वाला एक प्रमुख दर्रा है. यह पश्चिमी घाट का सबसे चौड़ा दर्रा है, जिसकी चौड़ाई लगभग 32 किमी से 40 किमी तक है. इसकी औसत ऊँचाई लगभग 140 मीटर (460 फुट) है.

यह न केवल एक महत्वपूर्ण परिवहन मार्ग है (यहाँ से होकर राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल मार्ग गुजरते हैं) बल्कि दक्षिण भारत की जलवायु को भी प्रभावित करता है. यह मानसून की हवाओं को पश्चिम से पूर्व की ओर जाने का मार्ग प्रदान करता है, जिससे तमिलनाडु के आंतरिक भागों में वर्षा होती है. यह पश्चिमी घाट की वनस्पति और जंतुओं का एक महत्वपूर्ण विभाजक भी है.

भारत का अन्य दर्रा (Other Passes of India in Hindi)

उपरोक्त मुख्य रूप से पश्चिमी घाट के दर्रे हैं. इनके अलावा, भारत के आंतरिक भागों में कुछ अन्य महत्वपूर्ण दर्रे भी हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

5. असीरगढ़ दर्रा (Asirgarh Pass)

यह मध्य प्रदेश में सतपुड़ा पर्वतमाला में स्थित है. इसे “दक्खन का प्रवेश द्वार” (Gateway to Deccan) कहा जाता है. ऐतिहासिक रूप से, यह उत्तर भारत से दक्कन पठार में प्रवेश करने का एक महत्वपूर्ण मार्ग था. असीरगढ़ का किला इस दर्रे के पास स्थित है.

6. हल्दीघाटी दर्रा (Haldighati Pass)

यह राजस्थान के अरावली पर्वतमाला में स्थित है. यह ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध है क्योंकि 1576 में महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की सेनाओं के बीच हल्दीघाटी का युद्ध यहीं लड़ा गया था. यह राजसमंद और उदयपुर जिलों के बीच एक प्राकृतिक दर्रा है.

7. बुरहानपुर दर्रा (Burhanpur Pass)

यह भी मध्य प्रदेश में सतपुड़ा पर्वतमाला में स्थित है, असीरगढ़ दर्रे के पास ही. यह भी दक्कन के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता था और ऐतिहासिक रूप से व्यापार और सैन्य अभियानों के लिए महत्वपूर्ण था.

8. थमारस्सेरी दर्रा (Thamarassery Pass) / वायनाड चूरम (Wayanad Churam)

यह केरल में पश्चिमी घाट में स्थित है. यह कोझीकोड जिले को केरल के वायनाड जिले से जोड़ता है. यह वायनाड पठार के लिए एक महत्वपूर्ण पहुंच मार्ग है और उत्तरी केरल के लिए एक महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रदान करता है.

उपरोक्त दर्रे औसतन हिमालयी दर्रों जितने ऊँचे नहीं हैं.  फिर भी ये भारत के विभिन्न आंतरिक क्षेत्रों को जोड़ने और व्यापार मार्गों को सुगम बनाने में ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं.

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