विश्व की प्रमुख जनजातियां | Major Tribes of the World

जनजाति ऐसे लोगों का समूह होता है जो किसी किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं (जंगल या पहाड़ी क्षेत्रों में) जिनकी अलग भाषा, अलग संस्कृति, अलग रीति-रिवाज और अलग रहन-सहन होता है तथा ये आधुनिक कल्चर से प्रभावित हुए बिना अपना प्रारंभिक जीवन जीते हैं. एक जनजाति के समूह  समान वंशावली और संस्कृति को साझा करते हैं.

विश्व की प्रमुख जनजातियां एवं विशेषताएं

एस्किमो (Eskimo)

एस्किमो जनजाति को इनुइट और युपिक के नाम से भी जाना जाता है. ये आर्कटिक क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी लोग हैं. ये अलास्का, कनाडा, ग्रीनलैंड और साइबेरिया जैसे अत्यंत ठंडे और ध्रुवीय क्षेत्रों में निवास करते हैं. इनका जीवन कठोर जलवायु और सीमित संसाधनों के बावजूद प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर चलता है.

एस्किमो जनजाति का मुख्य निवास क्षेत्र उत्तरी अमेरिका और साइबेरिया का आर्कटिक टुंड्रा है. इस क्षेत्र की कठोर जलवायु और वनस्पति की कमी ने इनके जीवन शैली और संस्कृति को विशिष्ट रूप से ढाला है. इनका जीवन मुख्य रूप से शिकार पर निर्भर है. ये सील्स (सील मछली), वालरस, व्हेल, ध्रुवीय भालू, और कैरिबू जैसे जानवरों का शिकार करते हैं. इन जानवरों का उपयोग भोजन, कपड़े, उपकरण और ईंधन के लिए किया जाता है.

ये जिस घर में रहते हैं उसे इग्लू कहते हैं. इग्लू बर्फ के ब्लॉक से बना एक अस्थायी आवास होता है, जो शिकार के दौरान बनाया जाता है. इनका स्थायी घर लकड़ी और मिट्टी से बना होता है, जिसे किकिविक कहा जाता है. ठंड से बचाव के लिए ये जानवरों की खाल से बने कपड़े पहनते हैं. इनके कपड़ों में पार्क (Parka), एक विशेष प्रकार का जैकेट, और मूसल (Mocassins), खाल से बने जूते, प्रमुख हैं.

परिवहन के लिए ये स्लेज (Sled) का इस्तेमाल करते हैं, जिसे कुत्तों या रेनडियर द्वारा खींचा जाता है. इनकी नावों को कयाक (Kayak) और उमियाक (Umiak) कहा जाता है. कयाक का उपयोग एक व्यक्ति के शिकार के लिए होता है, जबकि उमियाक बड़ी नाव होती है जिसका उपयोग पूरे परिवार या समूह द्वारा किया जाता है.

एस्किमो समाज कठोरता से सामुदायिक जीवन पर आधारित है. यहां सहयोग और संसाधनों का बंटवारा जीवन का अभिन्न अंग है. इनकी भाषा को इनुकटिटुट (Inuktitut) कहते हैं, जो एस्किमो-अल्यूट भाषा परिवार से संबंधित है. इनका धर्म शमनवाद पर आधारित है, जिसमें प्रकृति और आत्माओं की पूजा की जाती है. अंगाकुक (Angakkuq) या शमन आध्यात्मिक नेता होते हैं, जो रोगों का इलाज करते हैं और भविष्य बताते हैं.

आधुनिक युग में एस्किमो जनजाति कई चुनौतियों का सामना कर रही है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिससे उनके पारंपरिक शिकार और जीवन शैली पर गहरा असर पड़ रहा है. पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से उनकी पारंपरिक जीवन शैली, भाषा और रीति-रिवाज कमजोर हो रहे हैं. बाहरी दुनिया के संपर्क में आने से ये नई बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं.

रेड इंडियन जनजाति (Red Indian Tribes)

रेड इंडियन को अमेरिकी मूल-निवासी या नेटिव अमेरिकन के नाम से भी जाना जाता है. ये अमेरिका के मूल निवासी हैं और इनका इतिहास हजारों साल पुराना है. ‘रेड इंडियन’ नाम का प्रयोग गलती से क्रिस्टोफर कोलंबस ने किया था, जब वह 1492 में अमेरिका पहुंचा था. वह भारत की तलाश में निकला था और यह मान बैठा था कि वह भारत पहुंच गया है, इसलिए उसने यहां के निवासियों को ‘इंडियन’ कहा.

रेड इंडियन कोई एक जनजाति नहीं है, बल्कि यह सैकड़ों अलग-अलग जनजातियों का समूह है. इन सभी की अपनी अलग भाषा, संस्कृति और जीवन शैली है. इनमें से कुछ प्रमुख जनजातियाँ चेरोकी, नाभाजो, लकोटा, सियॉक्स और इरोक्वॉइस हैं.

ये मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका के यूएसए एवं कनाडा के क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इनमें से कुछ जनजातियाँ अभी भी अपने पारंपरिक निवास स्थानों, जैसे रिजर्वेशन (सरकार द्वारा निर्धारित विशेष क्षेत्र) में रहती हैं. इनकी जीवन शैली मुख्य रूप से प्रकृति पर आधारित थी. ये शिकार, मछली पकड़ने और खेती पर निर्भर थे. भैंस इनके लिए एक महत्वपूर्ण पशु था, जिसका उपयोग भोजन, कपड़े और आवास के लिए किया जाता था. इनकी पोशाक जानवरों की खाल से बनी होती थी और उन पर पंखों, मोतियों और अन्य प्राकृतिक वस्तुओं से सजावट की जाती थी.

इनका धर्म मुख्य रूप से प्रकृति पूजा और शमनवाद पर आधारित था. वे मानते थे कि प्रकृति की हर वस्तु में आत्मा होती है. वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ आधुनिक युग में, अमेरिकी मूल-निवासी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. उनकी भाषा और सांस्कृतिक परंपराएँ धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं. वे अपनी पहचान को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अधिकांश लोग गरीबी, बेरोजगारी और खराब स्वास्थ्य सुविधाओं से जूझ रहे हैं.

माया जनजाति (Mayan Tribes)

माया जनजाति का संबंध माया सभ्यता से है. यह सभ्यता मुख्य रूप से मेक्सिको, ग्वाटेमाला, बेलीज, होंडुरास और अल साल्वाडोर के क्षेत्रों में विकसित हुई थी. माया सभ्यता का इतिहास लगभग 2000 ईसा पूर्व से लेकर 1500 ईस्वी तक फैला हुआ है. यह सभ्यता अपने स्वर्ण युग (क्लासिक काल) में (लगभग 250 से 900 ईस्वी) अपने चरम पर थी, जब उन्होंने महान शहरों, पिरामिडों और मंदिरों का निर्माण किया.

इनकी अर्थव्यवस्था का आधार मक्का की खेती थी. वे अन्य फसलें, जैसे बीन्स, स्क्वैश और मिर्च भी उगाते थे. वैज्ञानिक और सांस्कृतिक उपलब्धियाँ माया सभ्यता अपनी असाधारण वैज्ञानिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों के लिए जानी जाती है, जो इसे अन्य प्राचीन सभ्यताओं से अलग करती है.माया ज्योतिष और कैलेंडर प्रणाली में बहुत उन्नत थे. उन्होंने दो प्रकार के कैलेंडर का उपयोग किया: त्सोल्किन (Tzolkin), 260 दिन का पवित्र कैलेंडर, और हाब (Haab), एक 365 दिन का सौर कैलेंडर.

वे शून्य की अवधारणा का उपयोग करने वाले शुरुआती लोगों में से थे. उनकी संख्या प्रणाली 20 के आधार पर आधारित थी. उन्होंने पिरामिडों, महलों, वेधशालाओं और बॉल कोर्ट का निर्माण किया. उनके सबसे प्रसिद्ध शहरों में चिचेन इट्जा, टिकल और कोपन शामिल हैं. माया लोगों की अपनी एक जटिल हाइरोग्लिफिक (चित्रलिपि) लेखन प्रणाली थी, जिसका उपयोग वे अपनी भाषा, इतिहास और धार्मिक ग्रंथों को लिखने के लिए करते थे.

लगभग 900 ईस्वी के आसपास, माया सभ्यता का पतन शुरू हो गया. इसके कारणों पर विद्वानों में मतभेद हैं, लेकिन कुछ प्रमुख सिद्धांत सूखा, अत्यधिक जनसंख्या और आंतरिक युद्ध को इसका कारण मानते हैं. वर्तमान में, माया लोगों के वंशज आज भी मेक्सिको और मध्य अमेरिका के कुछ हिस्सों में रहते हैं और अपनी पारंपरिक संस्कृति और भाषा को बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं.

बोरो जनजाति (Boro Tribes)

बोरो जनजाति बोरोरो के नाम से भी जाना जाता है. ये मुख्य रूप से अमेज़ॅन बेसिन में निवास करते है. यह जनजाति ब्राजील, पेरू और कोलंबिया में पाई जाती है. बोरो लोग मुख्य रूप से पश्चिमी अमेज़ॅन के वनों और अमेज़न की सहायक नदियों के तटवर्ती इलाकों में रहते हैं. उनका जीवन घने जंगल और नदी पर निर्भर है.

ये मुख्य रूप से कृषक होते हैं और आदिम कृषि करते हैं. इसके अलावा, वे वन के जंगली जानवरों का शिकार भी करते हैं. बोरो समाज काफी संगठित और कठोर माना जाता है. वे लड़ाकू और निर्दय स्वभाव के माने जाते हैं. ऐतिहासिक रूप से, मानव हत्या और नरभक्षण जैसी प्रथाएं भी उनमें प्रचलित थीं.

शारीरिक रूप से, ये अमेरिकी रेड इंडियन के समान दिखते हैं. इनकी त्वचा का रंग भूरा, बाल सीधे और कद मध्यम होता है.ये पेड़ों की छाल से बने कपड़े पहनते हैं. वे अपने होठों पर रंग का लेप लगाते हैं और कानों में लकड़ी के आभूषण पहनते हैं.अतीत में, ये मानव हत्या कर उसकी खोपड़ी को अपनी झोंपड़ी के दरवाज़े पर टांग देते थे, जिसे विजय का परिचायक माना जाता था.आधुनिकता के प्रभाव से इनकी पारंपरिक जीवन शैली और प्रथाएं धीरे-धीरे बदल रही हैं.

पिग्मी जनजाति (Pigmy Tribes)

पिग्मी जनजाति अपने छोटे कद के लिए जानी जाती है. ये मुख्य रूप से अफ्रीकी महादेश के कांगो बेसिन के वर्षा वनों में निवास करती है. ये अपने पर्यावरण के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हैं और पेड़ों पर छोटे-छोटे घर बनाकर रहते हैं. ये मध्य अफ्रीका के घने वर्षा वनों, विशेषकर कांगो गणराज्य, कैमरून, गैबॉन, और मध्य अफ्रीकी गणराज्य में पाए जाते हैं.

इनकी जीवन शैली मुख्य रूप से शिकार, मछली पकड़ने और खाद्य पदार्थों को इकट्ठा करने पर आधारित है. वे मांसाहारी होते हैं और पेड़ों पर रहने वाले जानवरों का शिकार करते हैं, जिनमें बंदर, पक्षी और छोटे हिरण शामिल हैं.

ये पेड़ों पर अस्थायी घर बनाते हैं, जिन्हें झोंपड़ी कहा जाता है. ये घर पत्तियों और टहनियों से बने होते हैं और इन्हें आसानी से बनाया और तोड़ा जा सकता है. इस प्रकार उन्हें लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में मदद मिलती है.

पिग्मी का औसत कद 1.5 मीटर (लगभग 4 फीट 11 इंच) से कम होता है. यह नाटापन इन्हें दुनिया की सबसे छोटी जनजातियों में से एक बनाता है. इनके पास जंगल और उसके संसाधनों के बारे में गहरा ज्ञान होता है. इसका उपयोग ये भोजन, दवा और अन्य जरूरतों के लिए करते हैं. उनका धर्म प्रकृति पर आधारित है, जिसमें वन आत्माओं और पूर्वजों की पूजा की जाती है.

बुशमैन जनजाति (Bushman Tribes)

बुशमैन को सान (San) लोग भी कहा जाता है. ये दक्षिणी अफ्रीका के सबसे प्राचीन निवासी हैं. यह जनजाति मुख्य रूप से कालाहारी रेगिस्तान में निवास करती है, जो बोत्सवाना, नामीबिया, और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में फैला हुआ है. बुशमैन दुनिया के उन अंतिम समूहों में से हैं जो अभी भी शिकारी-संग्राहक जीवन शैली का पालन करते हैं. उनका जीवन पूरी तरह से रेगिस्तान के संसाधनों पर निर्भर है.

इनका आहार बहुत विविध है, जिसमें पौधे, फल, छोटे जानवर और कीड़े शामिल हैं. ये विशेष रूप से दीमक खाना पसंद करते हैं, जिन्हें “कालाहारी का चावल” भी कहा जाता है. ये प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं. ये पारंपरिक हथियारों, जैसे धनुष और विषैले तीर का उपयोग करके जानवरों का शिकार करते हैं. इनका शिकार कौशल और जंगल का ज्ञान असाधारण होता है.

बुशमैन अपनी चट्टान कला (rock art) के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसमें जानवरों और अपने दैनिक जीवन के चित्र उकेरे गए हैं. इनका संगीत और नृत्य भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसका उपयोग वे धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों में करते हैं. ये छोटे-छोटे समूहों में रहते हैं, जो प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाते हुए जीवन यापन करते हैं.

मसाई जनजाति (Maasai People)

मसाई जनजाति अपनी अद्वितीय संस्कृति और वीर योद्धाओं के लिए प्रसिद्ध है. ये पूर्वी अफ्रीका के केन्या और तंजानिया के मैदानों में निवास करते है. मुख्य रूप से ग्रेट रिफ्ट वैली के आसपास के घास के मैदानों में रहते हैं, जो केन्या और तंजानिया से होकर गुजरती है.यह जनजाति अपनी पशुपालन की पारंपरिक जीवन शैली और गौरवशाली इतिहास के लिए जानी जाती है.

इनकी अर्थव्यवस्था और जीवन शैली पूरी तरह से पशुपालन पर आधारित है, विशेषकर मवेशियों, भेड़ों और बकरियों पर. मवेशी उनकी संपत्ति का प्रतीक हैं और इनका उपयोग दूध, मांस और रक्त के लिए किया जाता है.

ये जिस पारंपरिक घर में रहते हैं उसे क्रॉल (Kraal) कहा जाता है. क्रॉल गोलाकार होते हैं और ये गाय के गोबर, मिट्टी और टहनियों से बने होते हैं. ये घर पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए एक बाड़े के चारों ओर बनाए जाते हैं. मसाई अपनी विशिष्ट लाल रंग की पोशाक, जिसे शुका कहा जाता है, के लिए जाने जाते हैं. वे अक्सर मोतियों से बने आभूषण पहनते हैं, जो उनके सामाजिक स्तर और पहचान को दर्शाते हैं.

उनका धर्म प्रकृति पर आधारित है. वे एक सर्वोच्च ईश्वर एनकाई (Enkai) में विश्वास करते हैं, जो आकाश में रहता है. मसाई समुदाय में योद्धा (मोरान) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है. युवा लड़के अपने किशोरावस्था में योद्धा बनने की कठिन प्रक्रिया से गुजरते हैं. आधुनिकता के प्रभाव के बावजूद मसाई जनजाति अपनी परंपराओं और मूल्यों को मजबूती से बनाए हुए है. वे पूर्वी अफ्रीकी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

तुआरेग जनजाति (Tuareg Tribes)

तुआरेग जनजाति को ब्लू पीपल ऑफ द डेजर्ट (मरुस्थल के नीले लोग) के नाम से भी जाना जाता है. ये उत्तरी अफ्रीका के सहारा मरुस्थल के विशाल क्षेत्र में निवास करती है. तुआरेग मुख्य रूप से माली, नाइजर, अल्जीरिया, लीबिया और बुर्किना फासो जैसे देशों के सहारा मरुस्थल क्षेत्र में पाए जाते हैं. ये एक खानाबदोश जनजाति है जो सदियों से मरुस्थल में जीवन यापन कर रही है.

इनका जीवन पूरी तरह से पशुपालन पर आधारित है. वे अपने पशुओं (ऊंट, भेड़ और बकरी) को चराने के लिए लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं. ऐतिहासिक रूप से, तुआरेग लोग सहारा के पार व्यापार मार्ग के कुशल नियंत्रक और संचालक रहे हैं, जिसके माध्यम से नमक, सोना और अन्य वस्तुओं का व्यापार होता था.

तुआरेग पुरुष नीले रंग के कपड़े पहनते हैं और अपने चेहरे को नीले कपड़े से ढकते हैं, जिसके कारण उन्हें ‘ब्लू पीपल’ कहा जाता है. इनकेसमाज में महिलाओं का सम्मानजनक स्थान है. यह एक मातृसत्तात्मक समाज है, जहाँ महिलाएं अक्सर संपत्ति की मालिक होती हैं. उनका सामाजिक निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

आज के समय में, तुआरेग लोग सहारा मरुस्थल में आने वाले पर्यटकों के लिए गाइड का काम करते हैं, जिससे उन्हें अपनी पारंपरिक जीवन शैली को जारी रखने में मदद मिलती है. तुआरेग जनजाति मरुस्थल के कठोर वातावरण में जीवित रहने और अपनी संस्कृति को बनाए रखने का एक अद्भुत उदाहरण है. उनका जीवन प्रकृति के साथ संतुलन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है.

खिर्गीज जनजाति (Kyrgyz Tribe)

खिर्गीज जनजाति को किर्गिज़ के नाम से भी जाना जाता है. ये मध्य एशिया की एक प्रमुख तुर्की जनजाति है. ये मुख्य रूप से किर्गिस्तान और पामीर के पठार के पहाड़ी और स्टेपी क्षेत्रों में निवास करते हैं. खिर्गीज लोग मुख्य रूप से किर्गिस्तान में पाए जाते हैं, लेकिन इनके समूह कजाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के कुछ हिस्सों में भी रहते हैं.

इनका पारंपरिक जीवन एक खानाबदोश चरवाहे के रूप में रहा है. ये भेड़, घोड़े और याक जैसे पशुओं को पालते हैं और चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं. इनका पारंपरिक आवास यर्ट (Yurt) नामक एक गोलाकार, पोर्टेबल तम्बू है, जो लकड़ी के फ्रेम और फेल्ट (felt) से बना होता है. यह उनकी खानाबदोश जीवन शैली के लिए एकदम उपयुक्त है.

खिर्गीज लोग अपने पारंपरिक कपड़ों के लिए जाने जाते हैं, जिसमें कलपाक (Kalpak) नामक एक लंबा, नुकीला फेल्ट टोपी शामिल है.वे अपने फेल्ट शिल्प और कालीन बनाने की कला में कुशल होते हैं.इनका धर्म मुख्य रूप से सुन्नी इस्लाम है, लेकिन इनके धार्मिक विश्वासों में कुछ शमनवादी तत्व भी पाए जाते हैं.खिर्गीज जनजाति का जीवन उनकी भौगोलिक स्थिति और पारंपरिक खानाबदोश जीवन शैली से गहराई से जुड़ा हुआ है. वे मध्य एशिया की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

विश्व की अन्य प्रमुख जनजातियां एवं उसके निवास क्षेत्र

विश्व की प्रमुख जनजातियां | Major Tribes of the World UPSC pdf in Hindi

1. माओरी (Maori): ये न्यूजीलैंड के मूल निवासी हैं. इनकी संस्कृति और भाषा पोलीनेशियन है. इनकी पहचान हाका (Haka) नामक पारंपरिक युद्ध नृत्य से होती है. यह नृत्य युद्ध, समारोहों और खेल प्रतियोगिताओं से पहले किया जाता है. माओरी भाषा और संस्कृति को न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय पहचान में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है.

2. अफरीदी (Afridi): ये एक प्रमुख पश्तून जनजाति है जो मुख्य रूप से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में रहती है. इन्हें उनकी बहादुरी और युद्ध कौशल के लिए जाना जाता है. ये अक्सर पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित खैबर दर्रे के नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं.

3. पापुआ (Papua): ये पापुआ न्यू गिनी के मूल निवासी हैं. यह जनजाति अपने सांस्कृतिक उत्सवों और विशिष्ट कला रूपों के लिए जानी जाती है. इनका जीवन घने वनों और प्रकृति पर निर्भर है.

4. ऐनू (Ainu): ये जापान के उत्तरी द्वीपों, विशेषकर होक्काइडो के मूल निवासी हैं. इनकी संस्कृति, भाषा और शारीरिक बनावट जापानी लोगों से अलग है. लंबे समय तक इन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा है. अब इनके अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं.

5. सेमांग (Semang): ये मलेशिया के पहाड़ी और वर्षा वनों में रहने वाली एक शिकारी-संग्राहक जनजाति है. ये अपनी पारंपरिक जीवन शैली और जंगल के गहरे ज्ञान के लिए जाने जाते हैं.

6. फुलानी (Fulani): ये पश्चिमी अफ्रीका की सबसे बड़ी और सबसे व्यापक रूप से फैली हुई जनजातियों में से एक हैं. इनका निवास मूलतः नाइजीरिया में है. ये मुख्य रूप से खानाबदोश चरवाहे होते हैं. इसलिए अपने पशुओं को चराने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं.

7. बोअर (Boer): बोअर शब्द का अर्थ किसान है. ये दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले डच, फ्रेंच और जर्मन मूल के लोग हैं, जो 17वीं और 18वीं शताब्दी में वहां बस गए थे. ये अपनी कृषि आधारित जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं.

8. बंटू (Bantu): ये अफ्रीका (दक्षिणी एवं मध्य) में फैले हुए है. बंटू कोई एक जनजाति नहीं, बल्कि भाषाओं का एक विशाल समूह है जो उप-सहारा अफ्रीका में बोली जाती है. लगभग 400 से अधिक विभिन्न जातीय समूह बंटू भाषाएं बोलते हैं, जैसे ज़ुलु, ज़ोसा और शोन.

9. ब्लैक फैलो (Black Fellow): यह शब्द ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के लिए एक सामान्य और कभी-कभी विवादास्पद शब्द है. ये लोग आदिवासी और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोग हैं.

10. नॉर्डिक (Nordic): ये उत्तरी यूरोप के स्कैंडिनेवियाई देशों के मूल निवासी हैं. ये मूलतः स्वीडन, डेनमार्क एवं नॉर्वे में फैले हुए है. यह एक नस्लीय समूह है, न कि एक जनजाति. ये अपनी मजबूत, लम्बी शारीरिक बनावट और हल्की त्वचा के लिए जाने जाते हैं.

11. ज़ुलु (Zulu): ये दक्षिणी अफ्रीका के सबसे बड़े जातीय समूहों में से एक हैं. इन्हें उनके बहादुर योद्धाओं और शाका ज़ुलु जैसे महान राजाओं के लिए जाना जाता है. शाका जूलु ने 19वीं सदी में एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की थी.

12. बद्दू (Bedouin): ये खानाबदोश अरब हैं जो मुख्य रूप से अरब के रेगिस्तानों में निवास करते हैं. इनका जीवन ऊंट, भेड़ और बकरी जैसे पशुओं पर निर्भर है. ये अपनी आतिथ्य सत्कार और जटिल सामाजिक संरचना के लिए जाने जाते हैं.

13. कुर्द (Kurd): ये एक ईरानी जातीय समूह हैं जो मुख्य रूप से तुर्की, सीरिया, इराक और ईरान के पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं. इनका कोई स्वतंत्र राष्ट्र नहीं है. लेकिन ये अपने लिए एक अलग देश कुर्दिस्तान की मांग कर रहे हैं.

14. केनसिन (Kenshin): यह नाम किसी विशिष्ट रूसी जनजाति से संबंधित नहीं है. रूस के साइबेरिया क्षेत्र में कई जनजातियाँ हैं, जैसे एवेन, याकूत और नेनेत्स, लेकिन “केनसिन” नाम से कोई प्रसिद्ध जनजाति नहीं है.

15. होपी, यांकी (Hopi, Yankee): होपी एक प्राचीन अमेरिकी मूल-निवासी जनजाति है जो एरिज़ोना में रहती है. वे अपनी मिट्टी की कला, कछुआ नृत्य और पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जाने जाते हैं. वहीं, यांकी एक उपनाम है जो उत्तरी अमेरिका के निवासियों के लिए उपयोग किया जाता है और यह कोई जनजाति नहीं है.

भारत के मुख्य जनजातियां

राज्य प्रमुख जनजातियां 
सिक्किमलेपचा
बिहार बैंगा, बंजारा, मुण्डा, भुइया, खोंड
मध्य प्रदेश  भील, मिहाल, बिरहोर, गडावां, कमार, नट
उड़ीसाबैगा, बंजारा, बड़होर, चेंचू, गड़ाबा, गोंड, होस, जटायु, जुआंग, खरिया, कोल, खोंड, कोया, उरांव, संथाल, सओरा, मुन्डुप्पतू।
पंजाबगद्दी, स्वागंला, भोट।
अरुणाचल प्रदेशअबोर, अक्का, अपटामिस, बर्मास, डफला, गालोंग, गोम्बा, काम्पती, खोभा मिसमी, सिगंपो, सिरडुकपेन।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूहऔंगी आरबा, उत्तरी सेन्टीनली, अंडमानी, निकोबारी, शोपन।
तमिलनाडुटोडा, कडार, इकला, कोटा, अडयान, अरनदान, कुट्टनायक, कोराग, कुरिचियान, मासेर, कुरुम्बा, कुरुमान, मुथुवान, पनियां, थुलया, मलयाली, इरावल्लन, कनिक्कर,मन्नान, उरासिल, विशावन, ईरुला।
कर्नाटक गौडालू, हक्की, पिक्की, इरुगा, जेनु, कुरुव, मलाईकुड, भील, गोंड, टोडा, वर्ली, चेन्चू, कोया, अनार्दन, येरवा, होलेया, कोरमा
केरल कडार, इरुला, मुथुवन, कनिक्कर, मलनकुरावन, मलरारायन, मलावेतन, मलायन, मन्नान, उल्लातन, यूराली, विशावन, अर्नादन, कहुर्नाकन, कोरागा, कोटा, कुरियियान,कुरुमान, पनियां, पुलायन, मल्लार, कुरुम्बा।
छत्तीसगढ़कोरकू, भील, बैगा, गोंड, अगरिया, भारिया, कोरबा, कोल, उरांव, प्रधान, नगेशिया, हल्वा, भतरा, माडिया, सहरिया, कमार, कंवर।
त्रिपुरा लुशाई, माग, हलम, खशिया, भूटिया, मुंडा, संथाल, भील, जमनिया, रियांग, उचाई।
जम्मू-कश्मीरगुर्जर, भरवर वाल।
गुजरातकथोड़ी, सिद्दीस, कोलघा, कोटवलिया, पाधर, टोडिय़ा, बदाली, पटेलिया। 
उत्तर प्रदेशबुक्सा, थारू, माहगीर, शोर्का, खरवार, थारू, राजी, जॉनसारी।
उत्तरांचलभोटिया, जौनसारी, राजी।
महाराष्ट्र भील, गोंड, अगरिया, असुरा, भारिया, कोया, वर्ली, कोली, डुका बैगा, गडावास, कामर, खडिया, खोंडा, कोल, कोलम, कोर्कू, कोरबा, मुंडा, उरांव, प्रधान, बघरी।
पश्चिम बंगाल होस, कोरा, मुंडा, उरांव, भूमिज, संथाल, गेरो, लेप्चा, असुर, बैगा, बंजारा, भील, गोंड, बिरहोर, खोंड, कोरबा, लोहरा।
हिमाचल प्रदेशगद्दी, गुर्जर, लाहौल, लांबा, पंगवाला, किन्नौरी, बकरायल।
मणिपुर कुकी, अंगामी, मिजो, पुरुम, सीमा।
मेघालय खासी, जयन्तिया, गारो।
असम व नगालैंडबोडो, डिमसा गारो, खासी, कुकी, मिजो, मिकिर, नगा, अबोर, डाफला, मिशमिस, अपतनिस, सिंधो, अंगामी।
झारखण्डसंथाल, असुर, बैगा, बन्जारा, बिरहोर, गोंड, हो, खरिया, खोंड, मुंडा, कोरवा, भूमिज, मल पहाडिय़ा, सोरिया पहाडिय़ा, बिझिया, चेरू लोहरा, उरांव, खरवार, कोल, भील।
आंध्र प्रदेशचेन्चू, कोचा, गुड़ावा, जटापा, कोंडा डोरस, कोंडा कपूर, कोंडा रेड्डी, खोंड, सुगेलिस, लम्बाडिस, येलडिस, येरुकुलास, भील, गोंड, कोलम, प्रधान, बाल्मिक।
राजस्थानमीणा, भील, गरसिया, सहरिया, सांसी, दमोर, मेव, रावत, मेरात, कोली।
Spread the love!
मुख्य बिंदु
Scroll to Top