शैल चक्र (Rock Cycle) भूविज्ञान का एक मूलभूत सिद्धांत है, जो चट्टानों के निर्माण, परिवर्तन और पुनर्चक्रण की प्रक्रिया को समझाने में मदद करता है. यह प्रक्रिया पृथ्वी की सतह और इसके आंतरिक भागों में होने वाली भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं द्वारा संचालित होती है. नीचे दिए गए विस्तृत विश्लेषण में, हम शैल चक्र के विभिन्न पहलुओं, इसके चरणों, महत्व और संबंधित उदाहरणों को शामिल करेंगे, जो शैक्षिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपयोगी हैं.
शैल चक्र की परिभाषा
शैल चक्र को एक सतत प्रक्रिया के रूप में समझा जा सकता है, जिसमें पुरानी चट्टानें परिवर्तित होकर नवीन रूप लेती हैं. यह प्रक्रिया पृथ्वी की भूगर्भीय गतिविधियों, जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, अपक्षय, कटाव, और टेक्टोनिक गतिविधियों, द्वारा संचालित होती है. विभिन्न स्रोत इसे एक गतिशील और सतत प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत करते हैं.
शैल चक्र के मुख्य चरण
शैल चक्र तीन मुख्य प्रकार की चट्टानों—आग्नेय, अवसादी और कायांतरित—के बीच परिवर्तन को दर्शाता है. ये तीनों ही चट्टानों के मुख्य प्रकार है. इन चरणों को नीचे विस्तार से समझाया गया है:

आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks)
ये चट्टानें पृथ्वी के आंतरिक भाग में पिघले हुए मैग्मा के ठंडा और ठोस होने से बनती हैं. ये प्राथमिक या मातृ चट्टानें हैं, जो अन्य चट्टानों के निर्माण का आधार हैं. इनमें जीवाश्म नहीं पाया जाता है. इनमें लोहा, निकिल, जस्ता, ताँबा और सोना जैसे तत्व पाए जाते है. इनका निर्माण पृथ्वी के ऊपरी परत में या सतह पर होता है.
आग्नेय चट्टानें हवा, पानी और अन्य प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा टूटकर छोटे कणों (अवसाद) में बदल जाती हैं. ये कण नदियों, हवाओं आदि द्वारा बहकर निचले क्षेत्रों में जमा हो जाते हैं, जो अवसादी चट्टानों के निर्माण का आधार बनते हैं.
उदाहरण: ग्रेनाइट (अंतर्भेदी, धीरे-धीरे ठंडा होने से बनी), बेसाल्ट (बाह्यभेदी, तेजी से ठंडा होने से बनी), पेग्माटाइट, बेसाल्ट, बिटुमिनस, ज्वालामुखीय ब्रेक्सिया, गैब्रो और टफ इत्यादि.

अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks)
अवसादों का संचय, संनादन (compaction) और सीमेंटेशन (cementation) से अवसादी चट्टानें बनती हैं. ये चट्टानें अपखंडों में परिवर्तित हो सकती हैं, जो नए अवसादी चट्टानों के निर्माण का स्रोत बन सकते हैं. इनका निर्माण आग्नेय चट्टानों से होता है. हवा और पानी के अपरदन से ये दूर जाकर परत-दर-परत जमने लगते है. इसलिए इन्हें परतदार चट्टान भी कहा जाता है. इनमें ही खनिज तेल, जीवाश्म और शैल गैस पाए जाते है.
अवसादी चट्टानों को तीन प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया जाता है:
- यांत्रिक रूप से निर्मित (Clastic Sedimentary Rocks): ये चट्टानें भौतिक प्रक्रियाओं जैसे अपक्षय, अपरदन, परिवहन और निक्षेपण के द्वारा बनती हैं. इनमें खनिजों और चट्टानों के कण जमा होकर संनादित होते हैं. उदाहरण: बलुआ पत्थर (Sandstone), समूह पत्थर (Conglomerate), शेल (Shale), लोस (Loess) इत्यादि.
- कार्बनिक रूप से निर्मित (Organic Sedimentary Rocks): ये चट्टानें जीवों के अवशेषों, जैसे कि गोले, हड्डियाँ, या पौधों के अवशेषों के संचय से बनती हैं. इनमें जैविक सामग्री का योगदान प्रमुख होता है. उदाहरण: गीसेराइट (Geyserite), चाक (Chalk), चूना पत्थर (Limestone, विशेष रूप से जीवाश्मीय), कोयला (Coal) इत्यादि.
- रासायनिक रूप से निर्मित (Chemical Sedimentary Rocks): ये चट्टानें जल में घुले हुए खनिजों के रासायनिक अवक्षेपण या क्रिस्टलीकरण के द्वारा बनती हैं. उदाहरण: चर्ट (Chert), चूना पत्थर (Limestone, रासायनिक अवक्षेपण से), हलाइट (Halite), पोटाश (Potash) इत्यादि.

नोट: चूना पत्थर (Limestone) को कार्बनिक और रासायनिक दोनों श्रेणियों में रखा जा सकता है, क्योंकि यह जैविक अवशेषों (जैसे गोले) या रासायनिक अवक्षेपण (जैसे कैल्साइट) से बन सकता है.
कायांतरित चट्टानें (Metamorphic Rocks)
ताप, दबाव या रासायनिक प्रक्रियाओं के कारण आग्नेय या अवसादी चट्टानें कायांतरित चट्टानों में बदल जाती हैं. ये परिवर्तन पृथ्वी के आंतरिक भाग में उच्च तापमान और दबाव के कारण होते हैं. कई बार आयतन में बदलाव से यह रूपांतरण होता है. इसलिये इसे PVT प्रक्रिया भी कहते है.
कायांतरित या अन्य चट्टानें अत्यधिक ताप और दबाव के कारण पिघलकर मैग्मा बन सकती हैं, और चक्र फिर से शुरू होता है. यह प्रक्रिया पृथ्वी के आंतरिक भाग में टेक्टोनिक गतिविधियों और सबडक्शन द्वारा संचालित होती है.
रूपांतरण के प्रकार:
- गतिशील रूपांतरण: यांत्रिक टूटने और पुनर्गठन से खनिज बदलते हैं, बिना रासायनिक परिवर्तन के.
- तापीय रूपांतरण: रासायनिक परिवर्तन के साथ खनिज पुनर्क्रिस्टलीकृत होते हैं। यह दो प्रकार का होता है:
- कॉन्टैक्ट रूपांतरण: गर्म मैग्मा या लावा के संपर्क से चट्टानें पुनर्क्रिस्टलीकृत होती हैं, कभी-कभी नए पदार्थ जुड़ते हैं.
- क्षेत्रीय रूपांतरण: टेक्टोनिक गतिविधियों से उच्च तापमान और दबाव के कारण पुनर्क्रिस्टलीकरण होता है.
उदाहरण (Examples)
कायांतरित चट्टानों के उदाहरण निम्नलिखित हैं:
1. परतदार कायांतरित चट्टानें (Foliated Metamorphic Rocks)
ये चट्टानें उच्च दबाव और तापमान के कारण खनिजों की परतदार या रेखीय व्यवस्था (फोलियेशन) प्रदर्शित करती हैं. उदाहरण:
- स्लेट (Slate): शेल (Shale) से बनती है, महीन दाने वाली, आसानी से पतली परतों में टूटती है, छत की टाइल्स के लिए उपयोगी.
- शिस्ट (Schist): स्लेट से अधिक दबाव और तापमान पर बनती है, चमकदार सतह और मोटी परतें, जैसे माइका शिस्ट.
- नीस (Gneiss): उच्च तापमान और दबाव से बनती है, हल्के और गहरे रंग की बैंडिंग (पट्टियाँ) दिखाई देती हैं, जैसे ग्रेनाइट नीस.
- फिलाइट (Phyllite): स्लेट और शिस्ट के बीच की अवस्था, चमकदार सतह और महीन परतें.
2. गैर-परतदार कायांतरित चट्टानें (Non-Foliated Metamorphic Rocks)
इनमें परतदार संरचना नहीं होती, ये मुख्य रूप से तापीय या कॉन्टैक्ट रूपांतरण से बनती हैं. उदाहरण:
- मार्बल (Marble): चूना पत्थर (Limestone) से बनती है, गर्म मैग्मा के संपर्क से पुनर्क्रिस्टलीकृत होती है, सजावटी पत्थर के रूप में उपयोगी.
- क्वार्टजाइट (Quartzite): बलुआ पत्थर (Sandstone) से बनती है, कठोर और टिकाऊ, क्वार्ट्ज खनिजों से युक्त.
- हॉर्नफेल्स (Hornfels): मैग्मा के संपर्क से बनती है, महीन दाने वाली, कठोर संरचना.
3. अन्य उदाहरण (Other Examples)
- साइनाइट (Schistose): लेख में साइनाइट का उल्लेख है, जो शिस्ट की तरह परतदार संरचना वाली चट्टान है.
- सर्पेंटाइन (Serpentine): मैग्नीशियम युक्त चट्टानों के रूपांतरण से बनती है, हरे रंग की, सजावटी उपयोग.

नोट: चट्टानें सड़कों, इमारतों और सजावटी वस्तुओं के निर्माण में भी उपयोगी हैं, जैसे लाल बलुआ पत्थर और मार्बल.
तुलनात्मक विश्लेषण: चट्टान के प्रकारों का तालिका
नीचे दी गई तालिका शैल चक्र में शामिल मुख्य चट्टान प्रकारों और उनके गठन की प्रक्रियाओं को संक्षेप में प्रस्तुत करती है:
चट्टान का प्रकार | गठन की प्रक्रिया | उदाहरण |
आग्नेय (Igneous) | मैग्मा के ठंडा होने से | ग्रेनाइट, बेसाल्ट |
अवसादी (Sedimentary) | अवसादों के संचय और संनादन से | बलुआ पत्थर, चूना पत्थर |
कायांतरित (Metamorphic) | ताप और दबाव से परिवर्तन | मार्बल, स्लेट |
पृथ्वी की आंतरिक संरचना और शैल चक्र का संबंध
शैल चक्र का अध्ययन विशेष रूप से भूगोल और भूविज्ञान के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है. शैल चक्र एक गतिशील प्रक्रिया है, जो पृथ्वी की भूगर्भीय गतिविधियों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
पृथ्वी की आंतरिक संरचना, जैसे क्रस्ट (35 किमी मोटी महाद्वीपीय, 5 किमी समुद्री), मैन्टल (2900 किमी गहरा), और कोर (3500 किमी त्रिज्या, मुख्य रूप से लोहा और निकल), शैल चक्र को प्रभावित करती है. उच्च तापमान और दबाव, विशेष रूप से कोर में, चट्टानों को कायांतरित या पिघलने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे चक्र पुन: शुरू होता है.
निष्कर्षतः, शैल चक्र एक जटिल और सतत प्रक्रिया है, जो पृथ्वी की भूगर्भीय गतिविधियों को समझने में महत्वपूर्ण है. यह न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए बल्कि संसाधन प्रबंधन और पर्यावरणीय अध्ययन के लिए भी उपयोगी है.