जिला प्रशासन का संरचना, महत्त्व, कार्य और दायित्व

हमने पढ़ा है कि यह मुख्यमंत्री और उनकी परिषद ही है जो सभी नीतिगत निर्णय लेती है. अब सवाल यह है कि राज्य सरकार की सभी नीतियों को कौन क्रियान्वित करता है. जिला प्रशासन की प्राथमिक इकाई है. जिले के माध्यम से ही लोग सीधे सरकार के संपर्क में आते हैं. लोग अपनी शिकायतें जिला प्रशासन के पास ले जाते हैं और जिला प्रशासन ही उनकी समस्याओं का समाधान करता है. इसलिए जिला प्रशासन को प्रशासन की रीढ़ कहना गलत नहीं होगा.

जिला प्रशासन ही केंद्र और राज्यों द्वारा बनाई गई विकास योजनाओं को क्रियान्वित करता है. इसलिए प्रशासन का मूल्यांकन जिला प्रशासन के मूल्यांकन के आधार पर किया जा सकता है, क्योंकि निचले स्तर पर पूरा प्रशासन जिला प्रशासन के इर्द-गिर्द घूमता है. 

जिला प्रशासन का विकास

1772 में भारत के प्रशासनिक व्यवस्था पर पकड़ बनाए रखने के उद्देश्य से बंगाल के लिए कलेक्टर पद का सृजन किया गया. 1773 में इसे समाप्त कर दिया गया. लेकिन, आवश्यकता महसूस होने पर इसे फिर से 1781 में आरंभ किया गया. भारत में डिस्ट्रिक्ट शब्द का पहली बार प्रयोग साल 1776 में किया गया.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 233 में जिला दंडाधिकारी या कलेक्टर का प्रावधान हैं. यह जिले का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के हैसियत से काम करता हैं.

जिला प्रशासन की संरचना

जिला प्रशासन एक जिले को चलाने के लिए बनाया गया एक ढाँचा है. यह एक सीधी-सादी व्यवस्था है जिसमें सबसे ऊपर जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट होते हैं, और उनके नीचे बाकी अधिकारी होते हैं. आइए, इस ढाँचे के मुख्य हिस्सों को समझते हैं:

  • जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट: ये जिले के सबसे बड़े अधिकारी होते हैं. इनका काम पूरे जिले के कामकाज को देखना और यह सुनिश्चित करना होता है कि सब कुछ ठीक से चले. ये जिले में सरकार के हर काम की निगरानी करते हैं.
  • अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट: ये अधिकारी जिला कलेक्टर की मदद करते हैं. उनके बहुत सारे कामों में हाथ बटाते हैं ताकि प्रशासन सुचारु रूप से चलता रहे.
  • उप-विभागीय अधिकारी: एक जिले को कई छोटे-छोटे उप-विभागों में बांटा जाता है, और हर उप-विभाग का मुखिया एक उप-विभागीय अधिकारी होता है. ये अपने इलाके के प्रशासन को संभालते हैं.
  • तहसीलदार: उप-विभागों से भी छोटे हिस्सों को तहसील या तालुका कहते हैं, और इनका जिम्मा तहसीलदार पर होता है. इनके मुख्य कामों में जमीन के रिकॉर्ड रखना और सरकार के लिए राजस्व (टैक्स) इकट्ठा करना शामिल है.
  • पटवारी/ग्राम अधिकारी: ये गाँव के स्तर पर प्रशासन का काम देखते हैं. पटवारी गाँव के रिकॉर्ड रखते हैं और गाँव वालों के लिए सरकार से संपर्क का पहला माध्यम होते हैं. इन्हें अक्सर गाँव के लोगों से सीधे तौर पर काम पड़ता है.
Officers of District Administration
जिला प्रशासन की संरचना

जिला प्रशासन के प्रमुख कार्य (Main Functions of District Adminstration)

  • जिला प्रशासन जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखता है और सरकार के आदेशों की अवहेलना करने वालों को दंड देता है. 
  • यह सरकार द्वारा लगाए गए विभिन्न करों को एकत्र करता है और उन्हें राजकोष में जमा करता है. 
  • यह जिले की भूमि का रिकॉर्ड रखता है और भूमि संबंधी विवादों का निपटारा करता है. 
  • यह लोगों को दीवानी और फौजदारी मामलों में न्याय प्रदान करता है और इसके लिए दीवानी और फौजदारी अदालतों का प्रावधान है. 
  • यह जिले में सभी विकास योजनाओं को क्रियान्वित करता है और समय-समय पर उनकी प्रगति का मूल्यांकन करता है. 
  • यह पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है. 
  • यह इन निकायों को उनके कर्तव्यों के उचित निर्वहन में भी मदद करता है. 
  • डिप्टी कमिश्नर जिले का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है और उसे कलेक्टर, जिला न्यायाधीश और जिला अधिकारी आदि नामों से जाना जाता है. 
  • जिले का पूरा प्रशासन उसके इर्द-गिर्द घूमता है. 
  • जिले में कल्याण और विकास कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करना उसकी जिम्मेदारी है. 
  • लोगों तक सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को पहुंचाना भी उसकी जिम्मेदारी है. 
  • उसके साथ कई अन्य अधिकारी भी होते हैं जो उसकी सहायता करते हैं और उसकी निगरानी और नियंत्रण में काम करते हैं.

जिला प्रशासन की खसियतें (Features of District Administration)

जिला प्रशासन सरकारी व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह एक जिले के रोजमर्रा के कामकाज को संभालता है और यह सुनिश्चित करता है कि सरकार की योजनाएं लोगों तक पहुंचें. इसकी कुछ खास बातें यहाँ दी गई हैं:

  • क्रमिक रिपोर्ट: जिला प्रशासन एक सीढ़ी की तरह काम करता है, जहाँ हर अधिकारी अपने ऊपर वाले अधिकारी को रिपोर्ट करता है. यह निगरानी का सबसे लोकप्रिय ढांचा हैं. इससे काम तेजी से आसानी से होता है और हर किसी की जिम्मेदारी तय होती है.
  • व्यापकता: इसके काम सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें विकास के काम भी शामिल हैं, जैसे सड़कें बनवाना, स्कूल खोलना और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करना.
  • जनसेतु: यह स्थानीय लोगों और छोटे सरकारी विभागों को राज्य या केंद्र सरकार से जोड़ता है.
  • लचीला: भले ही इसमें एक तय व्यवस्था होती है, लेकिन यह जिले की खास जरूरतों के हिसाब से अपने काम करने के तरीके में बदलाव भी कर सकता है.
  • जवाबदेही: जिला प्रशासन अपने सीनियर अधिकारियों और जनता दोनों के प्रति जवाबदेह होता है. इसका मतलब है कि उन्हें अपने काम में पारदर्शिता और ईमानदारी बरतनी होती है.

भारत में जिला प्रशासन (District Administration in Hindi)

भारत एक बहुत बड़ा और विविध देश है, इसलिए यहाँ प्रभावी शासन के लिए जिला प्रशासन बहुत महत्वपूर्ण है. भारत में, जिला कलेक्टर की भूमिका सबसे अहम होती है, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सदस्य होते हैं.

ब्रिटिश शासन के दौरान, जिला कलेक्टर का मुख्य काम लगान वसूलना था. लेकिन आज, वे एक बहुमुखी प्रशासक बन गए हैं जो विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाते हैं, कानून-व्यवस्था बनाए रखते हैं, आपदाओं का प्रबंधन करते हैं और सरकारी योजनाओं को लागू करवाते हैं.

इसके अलावा, भारत में जिला प्रशासन पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) और नगर निकायों के लिए भी केंद्रीय है. यह स्थानीय स्तर पर सरकार को मजबूत करता है और लोगों को अपने फैसले खुद लेने में मदद करता है.

जिले के मुख्य अधिकारियों की भूमिकाएँ

जिला प्रशासन में कई अधिकारी काम करते हैं, जिनकी अपनी-अपनी खास भूमिकाएँ होती हैं:

  • उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर): इन्हें अक्सर जिला कलेक्टर भी कहते हैं. ये जिले के कई कामों को संभालते हैं, जैसे कानून-व्यवस्था, विकास योजनाओं की देखरेख, आपदा से निपटना और दूसरे सरकारी विभागों के साथ तालमेल बिठाना.
  • कलेक्टर: ये जिले के मुखिया होते हैं. इनका मुख्य काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना, राजस्व (लगान) का प्रबंधन करना और जिले में विकास कार्यक्रमों को लागू करवाना होता है. प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, ये बचाव और राहत कार्यों के मुख्य समन्वयक होते हैं.
  • तहसीलदार: ये तालुका या तहसील स्तर पर काम करते हैं. इनका काम जमीन के रिकॉर्ड रखना, जमीन का सर्वे करना, टैक्स वसूलने की निगरानी करना और भूमि सुधारों को लागू करवाना होता है. ये स्थानीय स्तर पर विवादों को सुलझाने में भी मदद करते हैं.
  • उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एस.डी.एम.): ये जिला प्रशासन में एक महत्वपूर्ण पद पर होते हैं. ये अपने इलाके में कानून-व्यवस्था बनाए रखने, जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाने और उप-मंडल स्तर पर विकास योजनाओं को लागू करने की निगरानी करते हैं.
  • कानूनगो: ये स्थानीय स्तर पर जमीन के रिकॉर्ड से जुड़े प्रशासन में अहम होते हैं. ये पटवारियों के काम की निगरानी करते हैं और राजस्व इकट्ठा करने व जमीन के रिकॉर्ड रखने में सहायता करते हैं. कानूनगो जमीन के रिकॉर्ड की सटीकता सुनिश्चित करने और उनसे जुड़े विवादों को सुलझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम राज्य के अधिकारियों के साथ सहयोग करें. वे वास्तविक एजेंट हैं जिनके माध्यम से कानून लागू होते हैं और अंततः उन्हीं के माध्यम से लोगों को लाभ मिलता है.

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