Skip to content

चक्रीय प्रवास और भारत

चक्रीय प्रवास (Circular Migration) या रिपीट माइग्रेशन (Repeat Migration), रोजगार के लिए किसी व्यक्ति का अपने घर से दूर किसी स्थान पर जाना और कुछ समय बाद अपने गृह क्षेत्र में आवास आना है. इस प्रकार के प्रवास में कोई व्यक्ति रोजगार के लिए थोड़े वक्त के लिए पलायन करता है. फिर वह वापस अपने मूलस्थान को लौट आता है.

वस्तुतः चक्रीय प्रवास का मूल उद्देश्य रोजगार प्राप्त करना होता है. भारत में ऐसे प्रवासी अक्सर खेतिहर मजदूर या छोटे किसान होते है, जो कृषि कार्य समाप्त होने पर रोजगार के तलाश में शहरों को पलायन कर जाते है.

यह कोई स्थायी पलायन नहीं होता है और काम उपलब्ध होने पर थोड़े समय के लिए प्रवास होता है. चक्रीय प्रवास अधिकांशतः निम्न आय समूह के लोगों में पाए जाते है. ये दूसरे देश, शहर, स्थान आदि में मौसमी उपलब्ध नौकरियों का लाभ उठाने के लिए पलायन करते हैं. कई बार देश के उच्च आय वाले समूह भी और भी अधिक उच्च आय के लालसा में अमेरिका और यूरोप जैसे देशों को पलायन कर जाते है.

कई बार पड़ाव देश के भीतर ही होता है, जैसे गांव से शहरों की तरफ. लेकिन कई बार लोग विदेश भी चले जाते है, जिसकी अवधि लम्बी होती है. विदेशों में रोजगार के खोज में गए लोग अक्सर वहाँ बस भी जाते है. इसे स्थायी प्रवास कहा जा सकता है. भारत में ऐसे लोगों को ओवरसीज इंडियन सिटिज़न्स (OIC) कहा जाता है.

चक्रीय प्रवास का परिभाषा क्या है (What is the Definition of Circular Migration in Hindi)?

निम्नलिखित 6 मानदंडों को पूरा करने वाले पलायन को चक्रीय प्रवास के रूप में परिभाषित किया जा सकता है-

  • यदि गंतव्य स्थान पर निवास अस्थायी है,
  • गंतव्य पर एक से अधिक बार आवागमन की संभावना है,
  • मूल और निवास स्थल के बीच प्रवास के दौरान आवाजाही की स्वतंत्रता है,
  • गंतव्य देश में रहने का कानूनी अधिकार है,
  • प्रवासियों के अधिकारों की सुरक्षा है, और
  • गंतव्य देश में अस्थायी श्रम की स्वस्थ मांग है.

चक्रीय प्रवास का निर्धारक (Determinants of Circular Migration in Hindi)

किसी भी चक्रीय प्रवास का मूल कारण रोजगार होता है. इसके कई निर्धारक तत्व है:

  1. मूलस्थान और गंतव्य स्थान, दोनों जगहों के रोजगार का फायदा उठाने के लिए चक्रीय प्रवास किया जाता है. मूलस्थान पर पर्याप्त रोजगार उपलब्ध होने पर चक्रीय प्रवास रुक जाता है.
  2. आधुनिक यातायात व्यवस्था के कारण चक्रीय प्रवास में वृद्धि हुआ है. अब लोग सस्ते कीमत पर कम समय में यात्रा करने में सक्षम है. इसलिए लोग मूलस्थान और गंतव्य तक यात्रा करते रहते है.
  3. सबसे सस्ते श्रम बाजार से सबसे महंगे श्रम बाजार की ओर लोग आकर्षित होते है.
  4. स्थानीय बाजार में शिक्षा और कौशल के अनुरूप रोजगार उपलब्ध न होना भी चक्रीय प्रवास का एक कारण है.
  5. आधुनिक संचार और इंटरनेट ने श्रम बाजार का जानकारी सुलभ करवा दिया है. परिवार से काफी कम लागत पर सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है. धन भेजना भी आसान है. नए स्थान पर आवास भी आसानी से मिल जाता है. ये सभी कारक चक्रीय प्रवास में बढ़ोतरी करते है.

चक्रीय प्रवासन का उद्भव (Evolution of Ciruclar Migration):

  • वैश्वीकरण और विकास के आगमन के साथ 1960 और 70 के दशक के दौरान इस प्रकार के प्रवास का शुरुआत हुआ.
  • आधुनिक परिवहन और संचार, सामाजिक नेटवर्क तक बढ़ती पहुंच और बहुराष्ट्रीय निगमों की वृद्धि ने इसके उद्भव और विकास में सहायता किया.
  • इसका उद्देश्य उच्च आय वाले महंगे स्थानों से उच्च आय प्राप्त कर अपने सस्ते आय वाले सस्ते बाजार में खर्च करना है. इससे स्थानीय बाजार में प्रवासी की क्रय क्षमता बढ़ जाती है.
  • प्रवासी अपने कुटुम्बियों और परिजनों, अपने संस्कृति, परम्परा, भाषा व मूलस्थान के अन्य खासियतों से जुड़ा रहना चाहता है. इसलिए ये चक्रीयता का सहारा लेते है.

चक्रीय प्रवास का प्रभाव (Impact of Circular Migration)

  • मूल स्थान के लिए ब्रेन ड्रेन की स्थिति उत्पन्न होती है. दूसरे तरफ, गंतव्य स्थान ब्रेन गेन की स्थिति में होता है.
  • गंतव्य स्थान पर काम की अधिकता का भरपाई प्रवासी कर देते है. इससे स्थानीय युवा अधिक पारिश्रमिक का मांग नहीं कर पाते है. कई बार स्थानीय लोगों और प्रवासियों में टकराव का स्थिति भी उत्पन्न हो जाता है.
  • प्रवासियों व स्थानीय लोगों में सांस्कृति, परम्परा और भाषा के आधार पर टकराव देखने को मिलता है.
  • बाहरी देशों व स्थानों से मूलस्थान के तरफ धन का प्रायः होता है. इससे घरेलू अर्थव्यवस्था को बढ़ावा और सहायता मिलता है. विदेशी पूंजी के प्रवाह से स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती है, जिससे बेहतर बुनियादी ढाँचा, अधिक नौकरियाँ और बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने में मदद मिलता है.
  • अक्सर गंतव्य देशों में की छोटी आबादी उच्च शिक्षित होती है. कम कम आय वाली कम कौशल वाली नौकरियों को स्थानीय लोग त्याग करने को तैयार नहीं होते है और उच्च कौशल व शिक्षा वाले रोजगार में लग जाते है. प्रवासी कम कौशल और शिक्षा की जरूरत वाले नौकरियों को अपनाकर इस कमी का भरपाई कर देते है.
  • भली ही मूलस्थान को ब्रेन ड्रेन का सामना करना पड़ता है. लेकिन चक्रीय प्रवासन के कारण ये प्रवासी अपने मूल स्थान में भी लौटते है और अपने कौशल वाले रोजगार करते है. इस तरह मूलस्थान को इनके कौशल का फायदा तो मिलता ही है साथ ही बाहरी धन भी प्राप्त होता है.
  • मूलस्थान के अतिरिक्त श्रम को रोजगार मिल जाता है. वहीं गंतव्य स्थान पर श्रम की कमी का भरपाई हो जाता है.
  • सामाजिक प्रेषण: प्रवासन से नई संस्कृतियों, रीति-रिवाजों और भाषाओं का आदान-प्रदान होता है. यह लोगों के बीच भाईचारे को बढ़ाने में मदद करता हैं एवं अधिक समानता व सहिष्णुता सुनिश्चित होता है.

चक्रीय प्रवास की चुनौतियां (Challenges of Circular Migration)

  • शोषण और असुरक्षित स्थितियाँ: प्रवासी, विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों में, अक्सर खुद को बिचौलियों या दलालों द्वारा शोषण के प्रति असुरक्षित पाते हैं. उन्हें अक्सर सुरक्षा उपकरणों के बिना, अस्वच्छ और असुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है.
  • भाषा संबंधी बाधाएं: भाषा में अंतर प्रवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न करता है, खासकर जब उन क्षेत्रों में प्रवास करते हैं जहां स्थानीय भाषा उनकी मूल भाषा से भिन्न होती है.
  • निर्वाह प्रवासन: कई प्रवासी बचत या संपत्ति निर्माण के सीमित अवसरों के साथ निर्वाह-स्तर के रोजगार में संलग्न होते हैं. नौकरियाँ अक्सर मौसमी और अनियमित होती हैं, जो आर्थिक अनिश्चितता में योगदान करती हैं.
  • संकट के दौरान वापसी प्रवासन: COVID-19 महामारी ने चक्रीय प्रवासियों की भेद्यता को उजागर किया. जब 2020 में लॉकडाउन लगाया गया, तो मेजबान राज्यों में नौकरी के अवसरों की कमी के कारण कई प्रवासी अपने गृहनगर वापस जाने के लिए लंबी यात्रा पर निकल पड़े.

त्रिपक्षीय विजय सिद्धांत (Tripple Win Theory)

  • चक्रीय प्रवासन की अवधारणा को ट्रिपल-विन परिदृश्य के रूप में वर्णित किया गया है. इससे मेजबान देश, गृह देश और स्वयं प्रवासियों को लाभ प्राप्त होता है.
  • विकसित देश श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए प्रवासियों को प्रवेश की अनुमति देते हैं.
  • विकासशील देशों को इस अर्थ में लाभ होता है कि वे वास्तव में अपने कुशल प्रवासियों को नहीं खो रहे हैं, क्योंकि ये श्रमिक काम जारी रखने के लिए कुछ समय बाद वापस लौट आएंगे.
  • प्रवासियों को विदेशों में सीखे गए कौशल के साथ-साथ उनकी मजदूरी में वृद्धि से भी लाभ होता है.
  • इस ट्रिपल-विन में लाभ अक्सर तीन रूप का होता है: वित्तीय पूंजी, मानव पूंजी और सामाजिक पूंजी.
  • प्रवासियों को विदेश में रहते हुए वित्तीय और शैक्षिक सफलता सहित सकारात्मक अनुभव प्राप्त होते हैं. यह चक्रीय प्रवासन का सबसे बड़ा फायदा है.

भारत के भीतर चक्रीय प्रवासन (Circular Migration within India)

  • भारत में, आंतरिक प्रवास लगभग हमेशा चक्रीय रहा है. विनिर्माण, निर्माण और सेवा क्षेत्र में अधिक नौकरियों के आगमन के साथ, ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी शहरों की ओर प्रवासियों का भारी प्रवाह बढ़ा है.
  • 2004-2005 और 2011-2012 के बीच निर्माण क्षेत्रों में रोजगार की काफी वृद्धि हुई. इससे ग्रामीण पुरुष श्रमिकों को अधिक फायदा हुआ.
  • उदारीकरण का फायदा सभी राज्यों को नहीं मिला है. इससे असमान विकास हुआ है. इसके कारणअंतर-राज्य प्रवासन में वृद्धि हुई है. उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार जैसे राज्यों में बाहरी प्रवासन की दर सबसे अधिक है.
  • आरम्भ में अधिकांश प्रवासन दिल्ली की ओर था. आजकल यह दक्षिणी राज्यों, गुजरात और महाराष्ट्र में भी बढ़ गया है.
  • सकारात्मक परिणाम: मूल राज्यों की तुलना में अधिक भुगतान वाली नौकरियों तक पहुंच में वृद्धि, मूलस्थान में धन-प्रेषण के कारण बेहतर घरेलू कल्याण और परिवहन उद्योग को फायदा होता है.
  • प्रवासन करने वाले पुरुषों की अनुपस्थिति के कारण महिलाओं को परिवार में अधिक स्वायत्तता और निर्णय लेने की शक्ति मिलती है.
  • नकारात्मक परिणाम: बिचौलिए या दलाल पर निर्भरता, बहुत कम या बिना किसी सुरक्षा उपकरण के अस्वच्छ और असुरक्षित परिस्थितियों में काम करना, मौसमी या अनियमित काम, महामारी के कारण आजीविका का नुकसान (उदाहरण के लिए- कोविड-19 वायरस महामारी), स्वदेशी वेतन समूह और यूनियन इन प्रवासियों से नाराज़ हैं. क्योंकि उन्हें कम वेतन पर काम करने के लिए सहमत करके स्थानीय लोगों की नौकरियां छीनने वाले के रूप में देखा जाता है.
  • चक्रीय प्रवासन को न्यूनतम निर्वाह प्रवास का रूप माना जाता है.

आगे की राह

  • प्रवासी अधिकारों को सुनिश्चित करना: शोषण और दुर्व्यवहार को संबोधित करने के लिए प्रवासी अधिकारों की सुरक्षा जरूरी है.
  • कौशल प्रशिक्षण: प्रवासियों को कौशल प्रशिक्षण और भाषा दक्षता प्रशिक्षण प्रदान करने से उनकी रोजगार क्षमता और मेजबान समुदायों में एकीकरण बढ़ सकता है.
  • सुरक्षा जाल: महामारी जैसे संकट के समय में चक्रीय प्रवासियों के लिए सामाजिक सुरक्षा जाल स्थापित करना मानवीय आपदाओं को रोकने के लिए आवश्यक है.
  • एकीकरण प्रयास: गंतव्य क्षेत्रों में एकीकरण पहल को प्रोत्साहित करने से प्रवासियों को अपनापन महसूस हो सकता है.
  • डेटा संग्रह और अनुसंधान: सरकारों को चक्रीय प्रवास की सीमा और गतिशीलता को बेहतर ढंग से समझने के लिए डेटा संग्रह और अनुसंधान में निवेश करना चाहिए.

वास्तव में, चक्रीय प्रवास विकास और व्यक्तिगत आर्थिक उन्नति की जरूरतों को संतुलित करने के लिए एक व्यवहार्य मार्ग प्रस्तुत करता है. चूंकि चक्रीय प्रवासन वैश्विक परिदृश्य को आकार दे रहा है. इसलिए यह जरूरी है कि सरकारें और नीति निर्माता जनकल्याण और इसकी क्षमता का दोहन करने के लिए अपनी रणनीतियों को अपनाएं.

Spread the love!

1 thought on “चक्रीय प्रवास और भारत”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

मुख्य बिंदु