आजादी के बाद भारत में सिर्फ वस्तुओं के क्रय-विक्रय पर कर लगाया जाता था. फिर सेवाओं पर भी इसे आरोपित किया गया. धीरे-धीरे कई प्रकार के अप्रत्यक्ष कर केंद्र और सरकार द्वारा लगाए जाने लगे. इससे व्यापारियों को कई प्रकार के कर भुगतान करना पड़ा. इसी समस्या के समाधान के लिए एकल कर प्रणाली का संकल्पना लाया गया, जिसे कई देशों में जीएसटी का नाम दिया गया है. यह सरल और आसान कर प्रणाली माना जाता है. लेकिन कई आलोचक इसका आलोचना भी करते है.
क्या है जीएसटी? (What is GST in Hindi)
जीएसटी यानि वस्तु व सेवा कर (GST – Goods and Service Tax) वस्तुओं और सेवाओं पर आरोपित एकीकृत अप्रत्यक्ष कर है. मूल्य वर्धित करारोपण (Value Added Taxation) इसकी मुख्य विशेषता है. इसमें बिना किसी भेदभाव के सभी उपभोक्ताओं से उस वस्तु या सेवा के लिए निर्धारित कर को वसूला जाता है. इसे उपभोक्ता, विक्रेता मतलब व्यापारी को भुगतान करता है, फिर व्यापारी सरकार के खाते में इसे जमा कर देता है.
किसी समय में किसी वस्तु या सेवा पर कई प्रकार के कर स्थानीय, राज्य या केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाते थे. लेकिन इस व्यवस्था में कुछ वस्तुओं व सेवाओं को छोड़कर सभी प्रकार के कर केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाते है. इससे कई प्रकार के कर को भरने में व्यापारियों के श्रम व समय की बचत होती है. यहीं फायदा सरकारों को भी प्राप्त होता है.
जीएसटी का वैश्विक इतिहास (World History of GST in Hindi)
वस्तुओं पर करारोपण का इतिहास मानव सभ्यता के विकास से जुड़ा है. आरम्भ में बाजार के संचालक को प्राप्त लाभ से एक हिस्सा कर के रूप में दिया जाता था. लेकिन समय के साथ कई प्रकार के करों को सरकारों द्वारा लगाया जाने लगा. इसलिए, सभी करों को एक साथ लाकर प्रशासनिक लागत को कम करने पर बहस शुरू हो गई. 1954 में फ्रांस जीएसटी लागू करने वाला पहला देश था. तब से, करीब 175 देशों ने किसी न किसी रूप में इस कर प्रणाली को अपनाया है. कई देशों ने इसे संवर्धित कर प्रणाली (VAT) के नाम से भी अपनाया है.
जीएसटी लागू करने वाले मुख्य देशों में, कनाडा, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, इटली, नाइजीरिया, ब्राजील और भारत शामिल हैं. कैरेबियन सागर में स्थित ब्रिटिश साम्राज्य का समुद्रपार क्षेत्र (Overseas Territory) साल 2022 में इस कर प्रणाली को अपनाने वाला सबसे नया देश है.
भारत में जी. एस. टी. का उद्भव और स्थापना (Evolution and Establishment of GST in India)
अप्रत्यक्ष करों पर गठित केलकर टास्क फ़ोर्स ने साल 2000 में पहली बार जीएसटी का सुझाव रखा था. समिति ने जटिल और कई प्रकार से खंडित कर संरचना को एकीकृत प्रणाली से बदलने का सुझाव दिया था. इससे सरल अनुपालन, कर में कमी और आर्थिक वृद्धि की संभावना व्यक्त की गई.
तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 1 अप्रैल 2010 को इसे लागु करने का निर्णय लिया. राज्यों के वित्तमंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने इसका आरम्भिक स्वरूप 2009 में चर्चा पत्र के रूप में प्रस्तुत किया था.
साल 2010 में केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने देरी के साथ अप्रैल 2011 में इसे लागू करने का घोषणा किया. फिर जीएसटी को लागू करने के लिए साल 2011 में संसद द्वारा 115वां संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया. लेकिन, राज्यों के मुवावजे संबंधी मांग के कारण यह पारित नहीं हो सका. लोकसभा द्वारा इसे स्थायी समिति को विस्तृत विश्लेषण के लिए भेज दिया गया.
वित्त पर स्थायी समिति ने साल 2013 में 115वें संविधान संसोधन विधेयक पर अपना रिपोर्ट सौंप दिया था. लेकिन इसी बीच लोकसभा चुनाव के व्यस्तता और लोकसभा के भंग होने से यह विधेयक स्वतः समाप्त हो गया.
केंद्र-राज्यों के बीच मतभेद साल 2014 तक दूर कर लिया गया. तदुपरांत जीएसटी के लागु करने के लिए केंद्र सरकार को सक्षम बनाने के लिए संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2014 संसद में प्रस्तुत किया गया.
यह संविधान संशोधन विधेयक मई, 2015 में लोकसभा द्वारा पारित किया गया. कुछ संशोधनों के साथ विधेयक अंततः राज्यसभा में पारित किया गया और उसके बाद अगस्त, 2016 में लोकसभा द्वारा पारित किया गया. इसके अलावा, विधेयक को राज्य सरकारों द्वारा आवश्यक संख्या में अनुमोदित किया गया है. इसे 8 सितंबर, 2016 को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई है और इसे 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के रूप में अधिनियमित किया गया.
जीएसटी परिषद (GST Council in Hindi)
संविधान संसोधन के बाद इस नए कर प्रणाली को लागु करने से जीएसटी कॉउन्सिल का स्थापना किया गया. इसे कर का दर, छूट व प्रशासनिक प्रक्रिया सहित जीएसटी के विभिन्न पहलुओं पर निर्णय लेने के लिए नियम तय करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री के अध्यक्षता में स्थापित किया गया. राज्य सरकार और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों को भी सदस्य के रूप में इसमें जगह दिया गया था.
जीएसटी काउंसिल ने न्यूनतम शून्य जीएसटी और सेस समेत 28 फीसदी का अधिकतम जीएसटी वसूलने का निर्णय निम्न प्रकार से लिया:
- कुछ खाद्य पदार्थों, किताबों, समाचार पत्रों, घरेलू सूती कपड़े और होटल सेवाओं पर 0% कर.
- कटे और अर्ध-पॉलिश किए गए पत्थरों पर 0.25% की दर. पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5% तथा सोने और हीरे के जेवर पर 3% जीएसटी लगाया जाता है.
- चीनी, मसाले, चाय और कॉफ़ी जैसी घरेलू ज़रूरतों के सामान पर पर 5% कर.
- कंप्यूटर और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद पर 12% कर.
- बालों के तेल, टूथपेस्ट, साबुन और औद्योगिक मध्यस्थ वस्तुओं पर 18% कर.
- अत्यधिक लग्जरी वस्तुओं पर 28% कर लगाया गया. रेफ्रिजरेटर, सिरेमिक टाइल्स, सिगरेट, कार और मोटरसाइकिल सहित लक्जरी उत्पादों पर यह लागू होता है.
जीएसटी का कार्यान्वयन (Implementation of GST in Hindi)
एकीकृत जीएसटी विधेयक, 2017; केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी विधेयक, 2017; केंद्रीय जीएसटी विधेयक, 2017 और जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) विधेयक, 2017 को 20 अप्रैल 2017 तक लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित कर दिया गया.
यह ऐतिहासिक क्षण 2002 में आरम्भ हुए 14 वर्ष के यात्रा का समापन है. जीएसटी का लागू होना देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है और मेरे लिए व्यक्तिगत संतुष्टि का क्षण है. अधिकार प्राप्त समिति के हिस्से के रूप में, मुझे गुजरात और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों सहित अन्य लोगों से मिलने का अवसर मिला. मुझे विश्वास था कि जीएसटी केवल समय की बात है. यह सफल हुआ जब 8 नवंबर 2016 को मुझे जीएसटी कानून पर सहमति देने का अवसर मिला. सभी ने समय पर कार्य पूरा कर सुखद आश्चर्य से भर दिया है.- राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का जीएसटी पर अभिभाषण का अंश
आगे चलकर, 30 जून और एक जुलाई के मध्य रात्रि में, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा अन्य गणमान्यों के उपस्तिथि में इसे लागु किया गया. इसका मुख्य आयोजन संसद के केंद्रीय भवन में किया गया, जहाँ तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली समेत कई अन्य लोग उपस्तिथ थे.
जीएसटी सिर्फ कर सुधार नहीं बल्कि आर्थिक सुधार है. यह व्यापार में आसानी (Ease of Doing Business) की दिशा में आगे बढ़ने का एक रास्ता है. कानून की भाषा में इसे वस्तु एवं सेवा कर कहा जाता है, लेकिन यह अच्छा और सरल कर (Good and Simple Tax) है. अच्छा है क्योंकि कई तरह के टैक्स हटा दिए जाएंगे. सरल इसलिए क्योंकि इसके लिए केवल एक ही फॉर्म की आवश्यकता होती है और इसका उपयोग करना आसान है.- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन समारोह में
जीएसटी के अवयव (Components of GST in Hindi)
केंद्र सरकार जीएसटी के संग्रह और प्रशासन का काम देखती है. राज्यों या केंद्र शाषित प्रदेशों के हिस्से भी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा वसूला जाता है. आयात-निर्यात पर भी केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी वसूला जाता है. साथ ही, केंद्र या राज्य सरकार को सेस के रूप में अतिरिक्त कर वसूलने का भी अधिकार है. इस तरह जीएसटी के 3 अवयव है:-
- केंद्रीय जीएसटी (CGST): यह केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी के लागू होने से पहले वस्तु और सेवा करों को प्रतिस्थापित करता है. यह हिस्सा केंद्र सरकार के खाते में ही रहता है. केंद्र अपने विवेक के अनुसार इस राशि को खर्च करता है. यह केंद्रीय जीएसटी विधेयक, 2017 द्वारा शासित है.
- राज्य या केंद्रशासित प्रदेश जीएसटी (SGST or UTGST): यह राज्य सरकार को प्राप्त होने वाला कर है, जो किसी वस्तु पर आरोपित कुल जीएसटी का आधा होता है. यह विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा पारित राज्य वस्तु व सेवा कर अधिनियम, 2017 द्वारा अधिनियमित है. जहाँ केंद्रशासित प्रदेश है, वहां राज्य का स्थान केंद्र के ये प्रदेश ले लेते है.
- सेस (Cess): अत्यधिक लग्जरी व पाप या नकारात्मक वस्तुओं (जैसे पान मसाला, सिगरेट इत्यादि) पर सेस के रूप में अतिरिक्त कर भी वसूला जाता है. आयातित वस्तुओं पर भी यह लगाया जा रहा है.
एकीकृत जीएसटी (IGST):
यह एकीकृत जीएसटी विधेयक, 2017 द्वारा अधिनियमित है. वस्तुओं और सेवाओं के आयत-निर्यात पर यह सीमाशुल्क द्वारा वसूला जाता है. यह सीमाशुल्क करों के अतिरिक्त होता है. इसमें राज्य का हिस्सा वस्तु या सेवा के अंतिम गंतव्य के आधार पर तय किया जाता है और केंद्र द्वारा अपने हिस्से के गबन के बाद राज्य या केंद्रशासित प्रदेश का हिस्सा वापस कर दिया जाता है. इसी प्रकार, वस्तुओं और सेवाओं के अन्तर्राज्य आवागमन पर भी एकीकृत जीएसटी केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है.
GST और केंद्र-राज्य सम्बन्ध
जीएसटी एक एकीकृत कर प्रणाली है जिसने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा लगाए गए कई अप्रत्यक्ष करों को प्रतिस्थापित किया है. जीएसटी के तहत, केंद्र और राज्य सरकारें दोनों वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगाने और एकत्र करने का अधिकार साझा करती हैं. इससे देश के कर संरचना में अधिक सामंजस्य और एकरूपता आई है, जिससे आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा मिला है.
राजस्व वितरण के मामले में, जीएसटी परिषद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इस संयुक्त मंच में केंद्रीय वित्त मंत्री और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं. परिषद केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर दरों, छूट और राजस्व बंटवारे सहित जीएसटी के विभिन्न पहलुओं पर निर्णय लेती है. अभी तक इसके द्वारा एक निर्णय को छोड़कर सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिये गये है. यह संविधान के अनुच्छेद 279A के तहत एक संवैधानिक निकाय है.
परिषत में केंद्र सरकार के मतों का हिस्सा एक-तिहाई रखा गया है. शेष राज्य सरकार के मत है.
केंद्र सरकार जीएसटी कार्यान्वयन के प्रारंभिक वर्षों के दौरान किसी भी राजस्व कमी के लिए राज्यों को मुआवजा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह मुआवजा अपेक्षित राजस्व वृद्धि और राज्यों द्वारा एकत्र किए गए वास्तविक राजस्व के बीच अंतर को पाटने के लिए था.
इस तरह हम कह सकते है कि जीएसटी कानून ने भारत के संघीय व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव लाए है. अब भारत का अप्रत्यक्ष कर प्रशासन सहकारी संघवाद से प्रेरित है, जिसपर केंद्र का दबदबा है.
जीएसटी के फायदे और खूबियां (Salient Features and Benefits of GST in Hindi)
जीएसटी के आने से केंद्र व राज्य सरकार, व्यापारियों और उपभोक्ताओं को काफी फायदा हुआ है. इसके खासियतों समेत इससे हुए फायदों का वर्णन नीचे किया गया है-
- एक राष्ट्र, एक कर(One Nation, One Tax): जी एस टी ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए कई अप्रत्यक्ष करों का स्थान ले लिया. इस पुरे भारत में एक समान कर-प्रशासन लागू हो गया है. अब न तो व्यापारियों को और न ही सरकार को कई प्रकार के कराधान के गणना में अपना समय व संसाधन बर्बाद करना पड़ता है.
- दोहरी संरचना से बचाव: पहले उत्पादन, बिक्री और खपत पर अलग-अलग कर वसूले जाते थे. दोहरे कराधान के इस खामी को जीएसटी द्वारा समाप्त कर दिया गया है. अब सिर्फ उपभोक्ताओं को ही कर का भुगतान करना होता है.
- गंतव्य-आधारित कर: जीएसटी एक गंतव्य-आधारित कर है, जो निर्माता से उपभोक्ता तक आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण पर लगाया जाता है. इसे प्रत्येक चरण में मूल्यवर्धन अर्थात अतिरिक्त जुड़े कीमत पर लागू किया जाता है, जिससे क्रेडिट के निर्बाध प्रवाह की अनुमति मिलती है और अंतिम उपभोक्ता पर कर का बोझ कम होता है.
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी): जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट के उपयोग की अनुमति देता है. इससे कच्चे माल पर भुगतान किए गए कर को नए उत्पाद के कर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. पहले कच्चे माल और नया तैया माल पर अलग-अलग कर लगता था. इससे दोहरे कराधान से बचने में मदद मिलती है और उपभोक्ताओं को सस्ता माल मिलता है.
- निर्यात पर शून्य कर: निर्यात पर जीएसटी को शून्य किया गया है. निर्यातित वस्तुओं पर भुगतान किए गए कर को वापस कर दिया जाता है.
- सीमा छूट: एक निर्दिष्ट सीमा से कम टर्नओवर वाले छोटे व्यवसायियों को कर भुगतान से छूट दिया गया है. यह अलग-अलग राज्यों के लिए 10 से 40 लाख के बीच है. सेवा और वस्तुओं के मामले में भी दरें अलग-अलग है. समय-समय पर इसमें बदलाव लाया जाता है.
- कंपोजीशन स्कीम: कंपोजीशन स्कीम एक निर्धारित सीमा से कम टर्नओवर वाले छोटे करदाताओं के लिए उपलब्ध है (वर्तमान में ₹ 1.5 करोड़ और विशेष श्रेणी वाले राज्य के लिए ₹ 75 लाख). इस योजना के तहत, व्यवसायों को अपने टर्नओवर का एक निश्चित प्रतिशत जीएसटी के रूप में भुगतान करना आवश्यक है. इससे व्यापारी जटिल गणनाओं और अन्य आवश्यक अनुपालन से सरलता से बच जाते है.
- ऑनलाइन अनुपालन: जीएसटी का पंजीकरण, रिटर्न दाखिला, करों का भुगतान और अन्य अनुपालन-संबंधित गतिविधियों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) बनाया गया है. इससे प्रक्रिया सुव्यवस्थित, आसान और भ्रष्टाचार मुक्त हुआ है.
- मुनाफाखोरी विरोधी उपाय: जीएसटी इनवॉइस में हेरफेर द्वारा अतिरिक्त लाभ वसूला जा सकता है. इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण (एनएए) की स्थापना की. यदि 1000 रूपये के सामान का बिल 800 रूपये दिखाया जाए तो 200 रूपये पर अनुचित कर लाभ उठाया जा सकता है. एनएए अनुचित मूल्य निर्धारण प्रथाओं और मुनाफाखोरी को रोकने का काम करता है. जीएसटी मुनाफाखोरी विरोधी शिकायतें अब 1 दिसंबर, 2022 से भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा निपटाई जाएंगी.
- पारदर्शिता में वृद्धि: इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और डिजिटलीकरण, कर चोरी को रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद करती है.
- क्षेत्र-विशिष्ट छूट: स्वास्थ्य, शिक्षा और खाद्यान्न जैसी बुनियादी आवश्यकता वाले कुछ क्षेत्रों को या तो जीएसटी से छूट दी गई है या इस तक सभी का पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कर के दरों में कमी की गई है.
- रसद और परिवहन (Logistics and Transportation): जीएसटी के कारण लॉजिस्टिक्स और परिवहन उद्योग में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले. राज्य की सीमाओं पर आवागमन का बाधा समाप्त होने और एकीकृत कर प्रणाली की शुरूआत के साथ, परिवहन अधिक कुशल और कम लागत वाला हो गया. दक्षता में इस वृद्धि ने देश भर में माल की आवाजाही पर सकारात्मक प्रभाव डाला.
- जीएसटी शासन से पहले कुल 17 प्रकार के कर थे. इसलिए एक साल में कारोबारी को 17 जगह कई प्रकार के फॉर्म भरकर कर जमा करवाना होता था. यह अब जीएसटी पोर्टल के माध्यम से एकल है.
- नए व्यवस्था में अगर किसी कारोबारी की कुल आय 50 लाख रुपये सालाना से अधिक बैठती है तो GSTN में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है. पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के लिए आय की यह सीमा 20 लाख रूपये है. इस सीमा को बढाने की छूट भी राज्य सरकारों के पास है.
- पहले दो राज्यों में करों के दर में विभिन्नता के कारण अन्तर्राज्य तस्करी और कालाबाजारी आम थे. करों के एकरूपता ने इस संभावना को समाप्त कर दिया है. इसलिए पहले वर्तमान के तुलना में अधिक कर चोरी होती थी. अब कर श्रृंखला में सभी का पंजीकरण हो गया है, ऐसे में किसी भी कर चोरी को पकड़ना अधिक आसान है. जीएसटी इनवॉइस ने भी इस प्रणाली को दुरुस्त किया है.
- ख़ास तथ्य: मानव उपभोग के लिए शराब को छोड़कर सभी वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी लागू किया गया है. पांच निर्दिष्ट पेट्रोलियम उत्पादों (कच्चा, पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस) पर जीएसटी भविष्य में जीएसटी काउंसिल द्वारा अनुशंसित तिथि से लागू होगा. तंबाकू और तंबाकू उत्पाद जीएसटी के अधीन होंगे. इसके अलावा, केंद्र के पास इन उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क लगाने की शक्ति होगी.
जीएसटी से पहले कर व्यवस्था
नए दौर से पहले कई कर प्रशासन थे. इसने कई करों का स्थान ले लिया है, जिनमें शामिल हैं-
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क,
- उत्पाद शुल्क ड्यूटी (औषधीय और प्रसाधन निर्मितियाँ)
- उत्पाद शुल्क से संबंधित अतिरिक्त ड्यूटी (विशेष महत्व की वस्तुएं)
- उत्पाद शुल्क से संबंधित अतिरिक्त ड्यूटी (वस्त्र व वस्त्र उत्पाद)
- सीमा शुल्क से संबंधित अतिरिक्त ड्यूटी (CVD)
- सीमा शुल्क से संबंधित विशेष अतिरिक्त ड्यूटी (SAD)
- सेवा कर
- वस्तुओं व सेवाओं से संबंधित केंद्रीय प्रभार एवं उपकर
जीएसटी ने निम्नलिखित करों को अवशोषित कर लिया है-
- केंद्रीय बिक्री कर
- राज्य मूल्य वर्धित कर (वैट)
- लक्जरी टैक्स
- खरीद कर
- मनोरंजन कर (स्थानीय संस्थाओं द्वारा लगाए गए करों को छोड़कर)
- लॉटरी, जुआ और सट्टेबाजी पर कर
- विज्ञापनों पर कर
- प्रवेश कर जैसे चुंगी कर इत्यादि
- वस्तुओं व सेवाओं से संबंधित राज्य प्रभार एवं उपकर
GST कर गणना विधि
मान ले किसी उत्पाद के उत्पादन के लिए 100 रुपये का कच्चा माल ख़रीदा गया. इसपर 12 रूपये का वस्तु कर का भुगतान किया गया. फिर 150 रूपये में नए तैयार उत्पाद को बेच दिया गया. मानले इसपर कुल वस्तु कर 15 रूपये है. ऐसे में कच्चे माल का 12 रूपये इनपुट टैक्स के रूप में काम करेगा और इस खरीद पर अब सिर्फ तीन रूपये के कर का भुगतान करना होता.
आलोचनाएं
यह कराधान प्रणाली गरीब और अमीर, सभी लोगों से समान दर से कर की वसूली करता है. अत्यधिक निर्धन को भी किसी प्रकार से छूट नहीं मिलता है. अमीर और गरीब का उपभोग दर कई मामलों में सामान होता है. जैसे रोजमर्रा की वस्तुएं. इस वजह से गरीब तबका अमीर के तुलना में अधिक कर का भुगतान करते है.
गैर-सरकारी संगठन ऑक्सफेम इंडिया के हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल जीएसटी का दो-तिहाई से थोड़ा कम (64.3%) नीचे की 50% आबादी से, एक-तिहाई मध्य 40% से और देश के सबसे 10% अमीर लोगों से केवल 3-4% प्रतिशत वसूला जा रहा है.
दूसरे तरफ, आय कर में गरीबों के लिए कम और अमीरों के लिए अधिक दर से कर वसूला जाता है. इस विसंगति को दूर करने के लिए कई देश विचार कर रहे हैं. साथ ही, खरीद और बिक्री के प्रत्येक स्तर पर जीएसटी का आंकलन कर सरकार को बताना पड़ता है. इसलिए भी इस प्रणाली का आलोचना किया जाता है. हालाँकि, थोड़े-बहुत विसंगतियों के साथ यह कर प्रणाली श्रेष्ठम में से एक है. इससे जहां कर के भुगतान में निरंतर बढ़ोतरी हुआ है, वहीं सभी के लिए व्यापार के समान अवसर पैदा हुए है.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs on GST in Hindi)
1. जीएसटी क्या है, और यह पूर्व कर प्रणाली से कैसे भिन्न है?
उत्तर: जीएसटी एक एकीकृत कर प्रणाली है जिसने भारत में कई अप्रत्यक्ष करों को प्रतिस्थापित कर दिया है. इसके लागु होने से पहले जहां विभिन्न कर अलग-अलग लगाए जाते थे, वहीं जीएसटी ने कर संरचना को सुव्यवस्थित करते हुए इन करों को एक ही कर में समाहित कर दिया है.
2. जीएसटी ने विनिर्माण क्षेत्र को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर: GST ने कई प्रकार के करों को हटाकर लागत कम किया. इस तरह हुए बचत से विनिर्माण क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव हुआ. इससे पहले कई राज्यों में कर का दर अधिक था, जो उद्योगों के विकास में बाधक था. इस बढ़ा के दूर होते ही इन क्षेत्रों में भी आर्थिक विकास का नया सवेरा हुआ.
3. क्या जीएसटी से छोटे व्यवसायों को लाभ हुआ है?
उत्तर: हां, जीएसटी ने सरल कर संरचना और अनुपालन बोझ को कम करके छोटे व्यवसायों को लाभ पहुंचाया है. जीएसटी पंजीकरण सीमा ने छोटे और मध्यम उद्यमों के विकास को भी बढ़ावा दिया है.
4. जीएसटी ने आर्थिक विकास में कैसे योगदान दिया?
उत्तर: हां, इसने सरल कर संरचना और अनुपालन बोझ को कम करके छोटे व्यवसायों को लाभ पहुंचाया है. जीएसटी पंजीकरण सीमा ने छोटे और मध्यम उद्यमों के विकास को भी बढ़ावा दिया है.
5. निर्यात को बढ़ावा देने में जीएसटी ने क्या भूमिका निभाई?
उत्तर: जीएसटी ने इनपुट टैक्स रिफंड प्रदान करके निर्यातकों को अतिरिक्त लाभ पहुँचाया. इससे भारतीय सामान अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन गया.
6. जीएसटी ने लॉजिस्टिक्स और परिवहन उद्योग को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर: जीएसटी ने राज्य की सीमाओं को समाप्त करके और एक एकीकृत कर प्रणाली शुरू करके देश भर में माल की आवाजाही को सुव्यवस्थित किया, जिससे रसद और परिवहन में दक्षता बढ़ी.